एक राज्य में एक रिवाज था. राज्य में राजा की नियुक्ति सिर्फ पांच साल के लिए ही होती थी. राजा के गद्दी संभालने के पांच साल बाद नए राजा का चुनाव होता था. पुराने राजा को राज्य की नदी के उस पार जंगल में भेज दिया जाता. नए राजा का दिल से स्वागत-सत्कार किया जाता और दूसरे को जंगल में विदा कर दिया जाता. पुराना राजा जंगल में दो-चार दिन डरा-डरा सा, सहमा हुआ घूमता. बाद में किसी जंगली जानवर का शिकार हो जाता.
गांव में नए राजा की नियुक्ति की भी अजीब प्रथा थी. गांव के सभी लोग उस दिन इक्कठ्ठे होते और हाथी की सूंड में फूलों का हार थमा देते. हाथी जिसे उस हार को पहनाता वो शख्स अगले पांच साल तक जंगल का राजा चुन लिया जाता.
पद मिलने के बाद राजा बना शख्स फूला नहीं समाता और अगले पांच साल तक जमकर भोग-विलास करता. इतनी भव्यता और ऐश-ओ-आराम के बाद जब पांच साल बाद उसे जंगल जाने के लिए भेजा जाता तो वो जाने के लिए तैयार नहीं होता. लेकिन परंपरा के मुताबिक उसे जबरदस्ती रस्सी से बांधकर, घसीटकर, मार-पीटकर खुंखार जानवरों से भरे जंगल में छोड़ दिया जाता.
सालों से चली आ रही इस परंपरा के मुताबिक एक राजा का पांच साल का राजकाज खत्म हुआ. राजपाट के आखिरी दिन उसे पकड़ने के लिए सिपाही आए. जब सिपाही राजा को बांधने के लिए आगे बढ़े तो राजा ने बिना डरे पूरे रुआब से उन्हें रूक जाने का आदेश दिया. राजा का कांफिडेंस देखकर सैनिक सहम गए. सैनिक कुछ कहते उससे पहले ही राजा ने कहा कि वो एक राजा है और राजा की तरह ही ठाट-बाट से वो घने जंगलों में जाएगा.
हर पांच साल बाद जब राजा कि विदाई का वक्त आता था तो पूरे गांव के लोग उसे रस्सी से बंधा हुआ देखते थे. हैरान परेशान. जान बचाने की भीख मांगते हुए, रोते चिल्लाते हुए, गिड़गिड़ाते हुए. लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा था कि राजा रोब से हाथी पर बैठकर गांव से विदा हो रहा था. सैनिकों के बीच गर्व से चलता राजा गर्व से मुस्कुरा रहा था.
नदी के उस पार जाने के लिए नाव भी तैयार थी. राजा को नाव में बैठाया गया. मुस्कुराते हुए राजा को देखकर नाव वाला भी उलझन में पड़ गया. नाव जब बीच नदी में पहुंची तब नाविक ने राजा से पूछा, "महाराज आप तो बहुत खुश लगते हैं, यह देखकर मुझे बहुत आश्चर्य हो रहा है. आप को उस घने जंगल से डर नहीं लगता है?" तब गंभीर मुद्रा में राजा ने नाविक से जो बात कही वो बेहद ही मार्के की है. राजा ने कहा, "आखिर तुमने मुझे थोड़ा-सा पहचाना तो सही. देखो भाई, जिस दिन हाथी ने मेरे गले में हार डाला उस दिन मुझे दिल ही दिल में खुशी तो हुई पर पहले ही दिन से मुझे पांच साल के बाद मेरी हालत क्या होने वाली है वो दिखाई देने लगी थी". इसलिए पहले दिन से ही मैंने अगले पांच साल के बाद की प्लानिंग शुरु कर दी थी.
पहले साल मैंने अपने मंत्री को भेजकर मजदूरों के जरिए पूरा जंगल साफ करवा दिया. दूसरे साल नए राज्य के निर्माण का आदेश दिया और राजमिस्त्री को वहां भेज दिया. उन्होंने मेरे लिए बेहतरीन महल तैयार कर दिया. गांव के लोगों के लिए भी नए घर मैंने वहां पर बनवाए. तीसरे साल नगर के अच्छे और ज्ञानी लोगों को सपरिवार वहां रहने के लिए भेजा. चौथे साल लोगों को कारोबार करने लिए वहां भेजकर कारखाने लगवाए. आज पांच साल खत्म हो चुके हैं मेरा नया नगर भी बनकर तैयार है. आज एक राज्य ने मुझे विदा किया तो दूसरा राज्य मेरे स्वागत के लिए तैयार है.
इस राज्य में परंपरा के मुताबिक राजा आए. पांच साल तक ऐश-ओ-आराम में डूबे रहे, पर भविष्य के बारे में कभी नहीं सोचा. अंत में दु:ख भोगते हुए, दुनिया पर दोष मढ़ते हुए इस दुनिया से विदा हो गए.
ये कहानी आपके लिए क्यों जरुर है?
ये कहानी कंपटिशन की तैयारी करनेवाले हर छात्र पर बिल्कुल फिट बैठती है. जिस दिन आपने तैयारी के लिए मन बनाया समझ लीजिए उसी दिन आप राज बन गए, लेकिन स्थायी तौर पर क्योंकि जबतक आप सलेक्ट नहीं होगे आप राजसी ठाट-बाट के हकदार नहीं होंगे. आपको तैयारी के दौरान कोई कष्ट ना हो इसके लिए आपके मां-बाप ने पेट काटकर आपको पढ़ने का मौका दिया है. अब ये आपके हाथ है कि आप मां-बाप से मिले पैसे का इस्तेमाल कैसे करते हैं? दूसरे छात्रों की तरह तैयारी के दौरान घर से मिले पैसों को ऐशो-आराम, दोस्ती-यारी और फालतू की कोचिंगों पर उड़ाते हैं या फिर प्लानिंग करके भविष्य की तैयारी करते हैं.
कंपटिशन की तैयारी के दौरान अगर ऐशो-आराम की जिंदगी जीने और दूसरों की तरह बिना किसी प्लानिंग के तैयारी करेंगे तो लाखों छात्रों की तरफ असफल होकर डिप्रेशन में चले जाएंगे. वक्त रहते होश में आ जाइए. समय बीतने में समय नहीं लगता. लेकिन अगर सही रणनीति और टाइम मैनेजमेंट के साथ आगे बढ़ोंगे तो बुद्धिमान राजा की तहर जिंदगी भर राज करोगें.
प्लानिंग से काम नहीं करोगे तो वहीं होगा जो बेवकूफ राजाओं के साथ हुआ जब तक वक्त था भोग-विलास करोंगे और फिर रोते-गिड़गिड़ाते, हताश-निराश, कोचिंग के फालतू नोट्स पढ़कर परीक्षा हॉल में जाओगे और फिर बोरिया-बिस्तर बांधकर जंगल रूपी उस सामाज में वापस लौटोगे जहां जंगली जानवर आपका शिकार करने के लिेए ताक में बैठे हैं. बुद्धिमान राजा की तरह काम करो. रणनीति बनाओ. कोचिंग के मायाजाल से बचो. सफल लोगों से मिलो और प्रमाणिक किताबों से अपने खुद के नोट्स बनाओ. फिर देखो कमाल. शान से परीक्षा हाल में जाओगे और सफल होग राजसी ठाट-बाट से जिंदगी जिओगे.
सालभर की प्लानिंग आज ही करो, अभी करो, तुरंत करो. जो हुआ उसे भूल जाओ. नए जोश के साथ तैयारी में जुट जाओ, दूसरों को मत देखों क्योंकि उनका ये हाल दूसरों को देखने के चक्कर में ही हुआ है. खुद की ताकत को पहचानों, जिस भी परीक्षा की तैयारी में लगे हो उसके मुताबिक सालभर की तैयारी का प्लान बनाओं. देखना बुद्धिमान राजा की तरह आप भी परीक्षा हाल में जाओगे और सफल होकर राजा की तरह जिंदगी जीओगे.
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गांव में नए राजा की नियुक्ति की भी अजीब प्रथा थी. गांव के सभी लोग उस दिन इक्कठ्ठे होते और हाथी की सूंड में फूलों का हार थमा देते. हाथी जिसे उस हार को पहनाता वो शख्स अगले पांच साल तक जंगल का राजा चुन लिया जाता.
पद मिलने के बाद राजा बना शख्स फूला नहीं समाता और अगले पांच साल तक जमकर भोग-विलास करता. इतनी भव्यता और ऐश-ओ-आराम के बाद जब पांच साल बाद उसे जंगल जाने के लिए भेजा जाता तो वो जाने के लिए तैयार नहीं होता. लेकिन परंपरा के मुताबिक उसे जबरदस्ती रस्सी से बांधकर, घसीटकर, मार-पीटकर खुंखार जानवरों से भरे जंगल में छोड़ दिया जाता.
सालों से चली आ रही इस परंपरा के मुताबिक एक राजा का पांच साल का राजकाज खत्म हुआ. राजपाट के आखिरी दिन उसे पकड़ने के लिए सिपाही आए. जब सिपाही राजा को बांधने के लिए आगे बढ़े तो राजा ने बिना डरे पूरे रुआब से उन्हें रूक जाने का आदेश दिया. राजा का कांफिडेंस देखकर सैनिक सहम गए. सैनिक कुछ कहते उससे पहले ही राजा ने कहा कि वो एक राजा है और राजा की तरह ही ठाट-बाट से वो घने जंगलों में जाएगा.
हर पांच साल बाद जब राजा कि विदाई का वक्त आता था तो पूरे गांव के लोग उसे रस्सी से बंधा हुआ देखते थे. हैरान परेशान. जान बचाने की भीख मांगते हुए, रोते चिल्लाते हुए, गिड़गिड़ाते हुए. लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा था कि राजा रोब से हाथी पर बैठकर गांव से विदा हो रहा था. सैनिकों के बीच गर्व से चलता राजा गर्व से मुस्कुरा रहा था.
नदी के उस पार जाने के लिए नाव भी तैयार थी. राजा को नाव में बैठाया गया. मुस्कुराते हुए राजा को देखकर नाव वाला भी उलझन में पड़ गया. नाव जब बीच नदी में पहुंची तब नाविक ने राजा से पूछा, "महाराज आप तो बहुत खुश लगते हैं, यह देखकर मुझे बहुत आश्चर्य हो रहा है. आप को उस घने जंगल से डर नहीं लगता है?" तब गंभीर मुद्रा में राजा ने नाविक से जो बात कही वो बेहद ही मार्के की है. राजा ने कहा, "आखिर तुमने मुझे थोड़ा-सा पहचाना तो सही. देखो भाई, जिस दिन हाथी ने मेरे गले में हार डाला उस दिन मुझे दिल ही दिल में खुशी तो हुई पर पहले ही दिन से मुझे पांच साल के बाद मेरी हालत क्या होने वाली है वो दिखाई देने लगी थी". इसलिए पहले दिन से ही मैंने अगले पांच साल के बाद की प्लानिंग शुरु कर दी थी.
पहले साल मैंने अपने मंत्री को भेजकर मजदूरों के जरिए पूरा जंगल साफ करवा दिया. दूसरे साल नए राज्य के निर्माण का आदेश दिया और राजमिस्त्री को वहां भेज दिया. उन्होंने मेरे लिए बेहतरीन महल तैयार कर दिया. गांव के लोगों के लिए भी नए घर मैंने वहां पर बनवाए. तीसरे साल नगर के अच्छे और ज्ञानी लोगों को सपरिवार वहां रहने के लिए भेजा. चौथे साल लोगों को कारोबार करने लिए वहां भेजकर कारखाने लगवाए. आज पांच साल खत्म हो चुके हैं मेरा नया नगर भी बनकर तैयार है. आज एक राज्य ने मुझे विदा किया तो दूसरा राज्य मेरे स्वागत के लिए तैयार है.
इस राज्य में परंपरा के मुताबिक राजा आए. पांच साल तक ऐश-ओ-आराम में डूबे रहे, पर भविष्य के बारे में कभी नहीं सोचा. अंत में दु:ख भोगते हुए, दुनिया पर दोष मढ़ते हुए इस दुनिया से विदा हो गए.
ये कहानी आपके लिए क्यों जरुर है?
ये कहानी कंपटिशन की तैयारी करनेवाले हर छात्र पर बिल्कुल फिट बैठती है. जिस दिन आपने तैयारी के लिए मन बनाया समझ लीजिए उसी दिन आप राज बन गए, लेकिन स्थायी तौर पर क्योंकि जबतक आप सलेक्ट नहीं होगे आप राजसी ठाट-बाट के हकदार नहीं होंगे. आपको तैयारी के दौरान कोई कष्ट ना हो इसके लिए आपके मां-बाप ने पेट काटकर आपको पढ़ने का मौका दिया है. अब ये आपके हाथ है कि आप मां-बाप से मिले पैसे का इस्तेमाल कैसे करते हैं? दूसरे छात्रों की तरह तैयारी के दौरान घर से मिले पैसों को ऐशो-आराम, दोस्ती-यारी और फालतू की कोचिंगों पर उड़ाते हैं या फिर प्लानिंग करके भविष्य की तैयारी करते हैं.
कंपटिशन की तैयारी के दौरान अगर ऐशो-आराम की जिंदगी जीने और दूसरों की तरह बिना किसी प्लानिंग के तैयारी करेंगे तो लाखों छात्रों की तरफ असफल होकर डिप्रेशन में चले जाएंगे. वक्त रहते होश में आ जाइए. समय बीतने में समय नहीं लगता. लेकिन अगर सही रणनीति और टाइम मैनेजमेंट के साथ आगे बढ़ोंगे तो बुद्धिमान राजा की तहर जिंदगी भर राज करोगें.
प्लानिंग से काम नहीं करोगे तो वहीं होगा जो बेवकूफ राजाओं के साथ हुआ जब तक वक्त था भोग-विलास करोंगे और फिर रोते-गिड़गिड़ाते, हताश-निराश, कोचिंग के फालतू नोट्स पढ़कर परीक्षा हॉल में जाओगे और फिर बोरिया-बिस्तर बांधकर जंगल रूपी उस सामाज में वापस लौटोगे जहां जंगली जानवर आपका शिकार करने के लिेए ताक में बैठे हैं. बुद्धिमान राजा की तरह काम करो. रणनीति बनाओ. कोचिंग के मायाजाल से बचो. सफल लोगों से मिलो और प्रमाणिक किताबों से अपने खुद के नोट्स बनाओ. फिर देखो कमाल. शान से परीक्षा हाल में जाओगे और सफल होग राजसी ठाट-बाट से जिंदगी जिओगे.
सालभर की प्लानिंग आज ही करो, अभी करो, तुरंत करो. जो हुआ उसे भूल जाओ. नए जोश के साथ तैयारी में जुट जाओ, दूसरों को मत देखों क्योंकि उनका ये हाल दूसरों को देखने के चक्कर में ही हुआ है. खुद की ताकत को पहचानों, जिस भी परीक्षा की तैयारी में लगे हो उसके मुताबिक सालभर की तैयारी का प्लान बनाओं. देखना बुद्धिमान राजा की तरह आप भी परीक्षा हाल में जाओगे और सफल होकर राजा की तरह जिंदगी जीओगे.
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