Sunday, 12 February 2017

IAS बनना है तो कुछ आदतें बदल लें, जानें क्या हैं वो आदतें.

IAS PREPARATION TIPS FOR BEGINNERS IN HINDI

IAS हिन्दुस्तान ही नहीं दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा है. लिहाजा इसे पास करने के लिए पूरी Planning के साथ तैयारी की जरुत है. समझने की जरुरत ये है कि Planning कैसे बनाएं? सबसे पहले दुनिया की इस सबसे कठिन परीक्षा को परीक्षा ना मानकर एक Game समझें.

जिस तरह से किसी भी Game को खेलने से पहले उसके Rules को जानना और समझना बेहद जरुरी ठीक उसी तरह से IAS की तैयारी से पहले उसके सभी Rules को जानना और उसे अच्छी तरह से समझना बहुत जरुरी है.
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सोचिए अगर Cricket के Game में कोई Batsman बिना Cricket के Rules & Regulation को पूरी तरह से समझे मैदान में उतर जाए तो उसका क्या होगा? अगर वो ये जानता ही नहीं कि पैड पर बॉल लगने पर भी वो ऑउट हो सकता है तो उसके आउट होने के चांसेज बढ़ जाएंगे. और आउट होने के बाद वो यहीं कहेगा कि अंपायर ने बेइमानी की है. ठीक वैसे ही जैसे असफल होने के बाद तमाम छात्र कहते हैं कि UPSC Commission ने बेईमानी की है. खासतौस से हिन्दी मीडियम के छात्रों के जुबान पर तो ये शब्द चढ़ चुका है कि कमीशन हिन्दी मीडियम वालों के साथ भेदभाव करता है.

तैयारी की रणनीति समझने से पहले एक छोटे से सवाल का जवाब दीजिए. आप में से कितने ऐसे हैं जो IAS का Notification और Form भरने से पहले अच्छी तरह से पूरा पढ़ते हैं. जवाब आप खुद जानते हैं. हकीकत यहीं है कि 100 में से सिर्फ 3 लोग यानी 3% छात्र इसे इत्मीनान से पढ़कर IAS Form भरते हैं. और मजेदार बात तो है कि सफल होनेवालों का प्रतिशत इससे भी कम है. और जब से IAS का Form Online भरने की व्यवस्था हुई है तब से पूछिए ना. कई जनाब तो ऐसे हैं जिनका फॉर्म ही दूसरे भरते हैं. है ना मजेदार. जो खुद फॉर्म नहीं भर सकते वो खुद एक्जाम कैसे पास करेंगे?
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एक बात गांठ बांध लीजिए अगर IAS बनना है तो किसी भी Rules and Regulation को ध्यान से पढ़ने और उसे समझने की आदत आज से ही डाल लीजिए क्योंकि एक IAS अपनी पूरी जिंदगी में या तो Rules and Regulation को Follow करता है या फिर Rules and Regulation बनाता है. इससे अलग उसके पास कोई काम नहीं होता. यकीन नहीं हो रहा है, लेकिन सच यहीं है.

अच्छा बताइए आपके जिले का जिलाधिकारी (District Magistrate) क्या करता है? किसी विभाग का सचिव क्या करता है? प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव क्या करते हैं? सीधा जवाब है या तो वो नियम बनाते हैं या फिर नियम को लागू करते या कराते हैं.

समझे कुछ आप. यानी अगर आपको IAS बनना है तो अभी से कुछ आदतें डालनी होगीं. सबसे पहली आदत है-

1-किसी भी काम को करने के लिए Rules बनाना और उसे Follow करना-

छोटा-सा उदाहरण लीजिए. अगर आप Time Table (टाइम टेबल) से पढ़ने की प्लानिंग कर रहे हैं तो पहले टाइम टेबल बनाइए फिर उसे अमल में लाइए. अगर आप इसमें Fail हैं तो निश्चितौर से आप में वो गुण नहीं है जो एक IAS में होने चाहिए? क्योंकि कल जब आपको अपने जिले में Rules लागू करने होगें तो आप उसमें भी Fail होंगे. क्योंकि ये आपका स्वभाव है. और स्वभाव को बदलना बहुत मुश्किल होता है. जैसे-कुत्ते की पूछ सालों लोहे की नली में डाल दो लेकिन वो सीधी नहीं होती. 

2-हर बात पर किसी से भी सलाह मश्विरा करना:-

ये मानव स्वभाव है कि किसी भी काम को करने से पहले इंसान उसके हर पहलू के बारे में सोचता है. नफे-नुकसान के बारे में समझता है. ठीक इसी तरह से तैयारी से पहले तमाम छात्र इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि उन्हें तैयारी करनी चाहिए या नहीं? तैयारी को लेकर उनका फैसला सही है या नहीं? वो जिस कोचिंग को करने की सोच रहे हैं वो सही या फिर नहीं? तमाम तरह के ऐसे सवाल हैं जिसके लिए वो ऐरे-गैरे से लेकर नत्थु-खैरे तक से सलाह लेते हैं. 

अच्छा बताइए कि अगर आपको अमेरिका जाना है तो आप किसे सलाह लेंगे. उससे जो अमेरिका जा चुका है? उससे जो कनाडा तक सिर्फ गया है? उससे जो सिर्फ किताबों में पढ़कर अमेरिका जाने का अहसास कर चुका है? या फिर उससे जो अमेरिका गए अपने दोस्तों से जानकारी लेकर लंबी-लंबी डींगे हाकता है. निश्चिततौर पर उससे जानकारी लेना फायदेमंद है जो अमेरिका जा चुका है. क्योंकि वो आपको सफर में आनेवाली दिक्कतों का प्रैक्टिल और सटीक जवाब दे सकता है. तो अगर आपको सलाह लेना है तो सफल लोगों से ही लें क्योंकि वो आपको तैयारी में आनेवाली हर परेशानियों को सही और प्रैक्टिकल जवाब दे सकते हैं.

3-दूसरों के नोट्स के पीछे भागना बंद कीजिए, चाहे वो IAS में सफल ही क्यों ना हो चुका हो-


ये बताइए कि 4 फीट के इंसान को 7 फीट के इंसान का जूता फिट हो सकता है क्या? इंसान तो दोनों ही हैं. निश्चिततौर पर नहीं. लेकिन 4 फीट का इंसान 7 फीट का जूता पैर में डालकर और 7 फीट का इंसान 4 फीट के इंसान के जूते की नाप के आधार पर ये जान सकता है कि उसे किस नंबर का जूता फिट बैठ सकता है. ठीक इसी तरह से दूसरे के नोट्स को लेकर उसी से पढ़ेंगे तो नतीजा क्या होगा बताने की जरुरत नहीं? हां इतना कर सकते हैं कि दूसरे के नोट्स देखकर आप ये अंदाजा लगा सकते हैं कि आप अपने नोट्स कैसे बनाएं? क्योंकि नोट्स में हर छात्र वही बात लिखता है जो उसे पता नहीं होता. 

जैसे किसी के नोट्स में अगर लिखा है कि नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनने से पहले एक राज्य के मुख्यमंत्री थे? इसका मतलब ये है कि जिस भी छात्र ने ये नोट्स बनाया है उसे ये पहले से पता है कि नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे? लेकिन अब एक नया छात्र आता है उसे वहीं नोट्स पढ़ने को मिलता है और वो ये नहीं जानता कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले गुजारत में तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके थे तो आधा तथ्य याद करेगा? और जब परीक्षा में ये सवाल आएगा कि नरेद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले कहां के मुख्यमंत्री थे तो निश्चिततौर पर या तो वो सवाल गलत करेगा या फिर तुक्का मारेगा? आपको समझाने के लिए हमने ये आसान सवाल लिया, लेकिन जब यहीं सवाल अकबर से लेकर शिवाजी तक के बारे में आयेगा तब आपाके दिमाग की बत्ती घूम जाएगी. 

तो अगर सफल होना है तो आदत बदलिए, दूसरे के नोट्स लीजिए उसे एक बार पूरा पढ़िए और फिर रद्दी की टोकरी में फेंककर अपने खुद के नोट्स बनाइए. नहीं तो कमीशन आपको रद्दी की टोकरी में फेंकने से गुरेज नहीं करेगा.vijay agrawal 
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