IAS और PCS में सलेक्शन के लिए Notes कैसे बनाएं? प्रैक्टिकल उपाय
नोट्स सफलता का पहला मंत्र है. अगर आपके नोट्स स्तरहीन हैं तो सफलता के चांसेज बहुत कम हो जाते हैं. लेकिन अगर आपके नोट्स स्तरीय हैं तो सफलता के चांसेज बढ़ जाते हैं. तो सवाल ये है कि एक स्तरीय नोट्स कैसे बनाएं? एक अच्छे नोट्स की क्या-क्या खासियत होनी चाहिए? आप नोट्स में ऐसा क्या लिखें जो आपको सफलता की ओर ले चले? आज हम आपको बिन्दुवार कुछ ऐसी गुढ़ बाते बताएंगे जिसे अपनाकर आप अपने नोट्स को स्तरीय बना सकते हैं. लेकिन उससे पहले नोट्स को लेकर कुछ गलत धारणाओं को समझना जरूरी है. तो आइए पहले समझते हैं नोट्स क्या नहीं है?
1-किताबों के अहम बिन्दुओं को सिर्फ कॉपी में नोट करना नोट्स नहीं है.
2-पांच-छह लोगों के नोट्स लेकर उसमें से अहम बातों को छांटना नोट्स नहीं है.
3-पूरी किताब को कॉपी में लिख लेना नोट्स नहीं है.
4-हर बिन्दुओं पर पांच-छह किताबों से प्वाइंट निकालकर लिखना नोट्स नहीं है.
तो सवाल ये है कि नोट्स क्या है? चलिए आपको बताते हैं कि नोट्स क्या है? नोट्स को कैसे बनाना चाहिए? नोट्स बनाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
दोस्तों किसी भी विषय पर नोट्स बनाने से पहले आपको ये तय करना होगा कि आप किस परीक्षा के लिए नोट्स बना रहे हैं. हम यहां पर आईएएस परीक्षा के लिए नोट्स बनाने की चर्चा कर रहे हैं. तो हम फोकस उसी पर करेंगे. आप बाकि परीक्षाओं के लिए भी इसी मैथेड से नोट्स बना सकते हैं.
मान लीजिए आप आधुनिक इतिहास विषय के लिए नोट्स बना रहे हैं। तो सबसे पहले आपके पास तीन चीज होनी जरूरी है.
1-आधुनिक इतिहास का सलेबेस.
2-पिछले 10 साल का अनसॉल्व पेपर.
3-इतिहास की एक बेसिक किताब. ये किताब NCERT भी हो सकती है.
अगर आपको स्तरीय नोट्स बनाना है तो सबसे पहले आप आधुनिक इतिहास के सलेबस को कम से कम 2-3 बार पढ़ डालिए. फिर इसके बाद अनसॉल्व पेपर को लीजिए. कोशिश कीजिए अगर ऐसा अनसॉल्व पेपर मिल जाए जिसमें शीर्षक वाइज सवालों को छांटा गया है तो बहुत अच्छा होगा. इसके लिए यूथ प्रकाशन, घटनाचक्र प्रकाशन, अरिहंत प्रकाश से लेकर कई प्रकाशनों का सॉल्व आता है आप उसे भी ले सकते हैं.
इसके बाद आप सलेबस के हिसाब से देखिए कि किस टॉपिक से कितने सवाल पूछे जा रहे हैं? किस तरह के सवाल आ रहे हैं? सवालों की प्रकृति कैसे साल-दर-साल बदल रही है? इसे समझने के बाद आप बेसिक किताब उठाइए और उसे पहली बार में सरसरी निगाह से पढ़ डालिए. चाहे कुछ समझ में आये चाहे ना आए.
इसके बाद आप एक बार फिर सलेबेस देखिए और शीर्षक वाइज सवालों को पढ़िए. आपको समझ में आने लगेगा कि जो सवाल पूछे जा रहे हैं वो किताब में कहां पर हैं. अब फिर से बेसिक बुक पर जाइए और उसका गहन अध्ययन शुरू कीजिए. साथ में मार्कर या फिर हाईलाइट जरूर रखें. जैसे ही आपको लगे कि इस जगह से परीक्षा में सवाल आ रहे हैं उसे मार्क कर लें. इस एक्सर्साइज में थोड़ा वक्त लगेगा. लगने दें. क्योंकि इससे आपका किसी भी विषय पर बेसिक ज्ञान मजबूत होगा. ये आपके मजबूत बुनियाद की पहली ईंट है.
किताब पढ़ने के बाद आप सलेबेस और अनसॉल्व के सवालों को फिर से देखें. आपको अब समझ में आ जाएगा कि सलेबस में बहुत से ऐसे टॉपिक हैं जिससे परीक्षा में बहुत कम सवाल पूछे जाते हैं. और कुछ टॉपिक ऐसे होते हैं जिससे सबसे ज्यादा. अब आपको इन टॉपिको को अलग-अलग छांटकर लिखना है.
अब आप फिर से अपने बेसिक बुक पर जाइए और सवाल के हिसाब से देखिए किस टॉपिक से कितने सवाल आए हैं. जिस टॉपिक से ज्यादा सवाल आएं हैं उसे पहले तैयार कीजिए. सवाल के जवाब ही आपके नोट्स हैं. अब आपको करना ये है कि किसी भी सवाल को आप अलग-अलग तरीके से खुद बनाइए और उसका जवाब बेसिक किताब में ढूढ़िये. जैसे ही जवाब मिले उसे कॉपी में लिख लें. हो सके तो नोट्स में सवाल को भी लिखते चलें. क्योंकि इस टॉपिक से सवाल आ रहे हैं मतलब कमीशन चाहता है कि आपकी इस टॉपिक पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए. और इस टॉपिक से परीक्षा में सवाल आने के चांसेज भी ज्यादा हैं. जो टॉपिक कम महत्वपूर्ण लग रहे हैं उस पर ज्यादा वक्त ना लगाएं. क्योंकि अगर इस टॉपिक से सवाल आएगा तो सिर्फ आप नहीं बाकि प्रतियोगी छात्रों को भी दिक्कत होगी. सफल वही होता है जो कॉमन सवालों को गलत नहीं करता है. विशेष के चक्कर में रहेंगे तो कभी भी सफल नहीं हो पाएंगे.
अब आपको समझ में आएगा कि बहुत से ऐसे सवाल हैं जिसका आपके बेसिक किताब में जवाब नहीं हैं. तब आप दूसरी किताब की मदद लें. ध्यान दें मदद स्तरीय किताब से लें ना कि बाजार में मिलनेवाली किसी गाइड से. और इस बात पर जरूर ध्यान दें कि आपको दूसरी किताब पूरी नहीं पढ़नी हैं. सिर्फ उतना ही पढ़ना है और उसे अपने नोट्स में शामिल करना है जिसका जवाब आपको अपनी बेसिक किताब में नहीं मिला है.
एक बात हमेशा ध्यान में रखें आपके नोट्स में हर टॉपिक के साथ कम से कम 5 पन्ने प्लेन होने चाहिए. क्योंकि जैसे-जैसे आपके पढ़ाई का स्तर बढ़ेगा आपको इस टॉपिक से जुड़े नए-नए फैक्ट मिलेंगे. जैसे ही कोई नया फैक्ट मिले उसे फौरन अपने नोट्स में जोड़ लीजिए. इसलिए सलाह यही दी जाती है कि नोट्स हमेशा A-4 साइज की प्लेन शीट पर बनाएं. क्योंकि जैसे-जैसे कोई फैक्ट आपको मिले आप जरूरत के हिसाब से शीट बढ़ा सकें. अगर आपको इस टॉपिक से जुडा कोई ड्राइग्राम या फिर फीगर मिलता है तो आप उसे सीधा फोटो कॉपी कराकर नोट्स में एड कर लीजिए.
इस छोटी-सी एक्सरसाइज से आप एक स्तरीय नोट्स बना सकते हैं. फिर आपको बेवजह की 10 किताबें पढ़ने की जरूरत नहीं होगी. एक बार मेहनत करके आप एक ऐसा नोट्स तैयार कर लेंगे जो हमेशा आपके काम आएगा. लेकिन हां, एक बात का ध्यान रखें बीच-बीच में आपको अपनी बेसिक किताब को पढ़ते रहना चाहिए. क्योंकि ये अनुभव रहा है कि आप एक ही किताब को जितनी बार पढ़ेंगे आपको नई चीज मिलेगी. आपका कांसेप्ट क्लियर होगा. फालतू की और ज्यादा से ज्यादा किताबों को पढ़ने से बचें। क्योंकि मोर स्टडी, मोर कंफ्यूजन वाली कहावत तो आपको पता ही होगी.
अगर आपको हमारी ये टिप्स पसंद आई तो इसे ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया पर शेयर करें. क्योंकि बहुत-से ऐसे प्रतियोगी छात्र और छात्राएं हैं जो इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि वो नोट्स कैसे बनाएं?
1-किताबों के अहम बिन्दुओं को सिर्फ कॉपी में नोट करना नोट्स नहीं है.
2-पांच-छह लोगों के नोट्स लेकर उसमें से अहम बातों को छांटना नोट्स नहीं है.
3-पूरी किताब को कॉपी में लिख लेना नोट्स नहीं है.
4-हर बिन्दुओं पर पांच-छह किताबों से प्वाइंट निकालकर लिखना नोट्स नहीं है.
तो सवाल ये है कि नोट्स क्या है? चलिए आपको बताते हैं कि नोट्स क्या है? नोट्स को कैसे बनाना चाहिए? नोट्स बनाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
दोस्तों किसी भी विषय पर नोट्स बनाने से पहले आपको ये तय करना होगा कि आप किस परीक्षा के लिए नोट्स बना रहे हैं. हम यहां पर आईएएस परीक्षा के लिए नोट्स बनाने की चर्चा कर रहे हैं. तो हम फोकस उसी पर करेंगे. आप बाकि परीक्षाओं के लिए भी इसी मैथेड से नोट्स बना सकते हैं.
मान लीजिए आप आधुनिक इतिहास विषय के लिए नोट्स बना रहे हैं। तो सबसे पहले आपके पास तीन चीज होनी जरूरी है.
1-आधुनिक इतिहास का सलेबेस.
2-पिछले 10 साल का अनसॉल्व पेपर.
3-इतिहास की एक बेसिक किताब. ये किताब NCERT भी हो सकती है.
अगर आपको स्तरीय नोट्स बनाना है तो सबसे पहले आप आधुनिक इतिहास के सलेबस को कम से कम 2-3 बार पढ़ डालिए. फिर इसके बाद अनसॉल्व पेपर को लीजिए. कोशिश कीजिए अगर ऐसा अनसॉल्व पेपर मिल जाए जिसमें शीर्षक वाइज सवालों को छांटा गया है तो बहुत अच्छा होगा. इसके लिए यूथ प्रकाशन, घटनाचक्र प्रकाशन, अरिहंत प्रकाश से लेकर कई प्रकाशनों का सॉल्व आता है आप उसे भी ले सकते हैं.
इसके बाद आप सलेबस के हिसाब से देखिए कि किस टॉपिक से कितने सवाल पूछे जा रहे हैं? किस तरह के सवाल आ रहे हैं? सवालों की प्रकृति कैसे साल-दर-साल बदल रही है? इसे समझने के बाद आप बेसिक किताब उठाइए और उसे पहली बार में सरसरी निगाह से पढ़ डालिए. चाहे कुछ समझ में आये चाहे ना आए.
इसके बाद आप एक बार फिर सलेबेस देखिए और शीर्षक वाइज सवालों को पढ़िए. आपको समझ में आने लगेगा कि जो सवाल पूछे जा रहे हैं वो किताब में कहां पर हैं. अब फिर से बेसिक बुक पर जाइए और उसका गहन अध्ययन शुरू कीजिए. साथ में मार्कर या फिर हाईलाइट जरूर रखें. जैसे ही आपको लगे कि इस जगह से परीक्षा में सवाल आ रहे हैं उसे मार्क कर लें. इस एक्सर्साइज में थोड़ा वक्त लगेगा. लगने दें. क्योंकि इससे आपका किसी भी विषय पर बेसिक ज्ञान मजबूत होगा. ये आपके मजबूत बुनियाद की पहली ईंट है.
किताब पढ़ने के बाद आप सलेबेस और अनसॉल्व के सवालों को फिर से देखें. आपको अब समझ में आ जाएगा कि सलेबस में बहुत से ऐसे टॉपिक हैं जिससे परीक्षा में बहुत कम सवाल पूछे जाते हैं. और कुछ टॉपिक ऐसे होते हैं जिससे सबसे ज्यादा. अब आपको इन टॉपिको को अलग-अलग छांटकर लिखना है.
अब आप फिर से अपने बेसिक बुक पर जाइए और सवाल के हिसाब से देखिए किस टॉपिक से कितने सवाल आए हैं. जिस टॉपिक से ज्यादा सवाल आएं हैं उसे पहले तैयार कीजिए. सवाल के जवाब ही आपके नोट्स हैं. अब आपको करना ये है कि किसी भी सवाल को आप अलग-अलग तरीके से खुद बनाइए और उसका जवाब बेसिक किताब में ढूढ़िये. जैसे ही जवाब मिले उसे कॉपी में लिख लें. हो सके तो नोट्स में सवाल को भी लिखते चलें. क्योंकि इस टॉपिक से सवाल आ रहे हैं मतलब कमीशन चाहता है कि आपकी इस टॉपिक पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए. और इस टॉपिक से परीक्षा में सवाल आने के चांसेज भी ज्यादा हैं. जो टॉपिक कम महत्वपूर्ण लग रहे हैं उस पर ज्यादा वक्त ना लगाएं. क्योंकि अगर इस टॉपिक से सवाल आएगा तो सिर्फ आप नहीं बाकि प्रतियोगी छात्रों को भी दिक्कत होगी. सफल वही होता है जो कॉमन सवालों को गलत नहीं करता है. विशेष के चक्कर में रहेंगे तो कभी भी सफल नहीं हो पाएंगे.
अब आपको समझ में आएगा कि बहुत से ऐसे सवाल हैं जिसका आपके बेसिक किताब में जवाब नहीं हैं. तब आप दूसरी किताब की मदद लें. ध्यान दें मदद स्तरीय किताब से लें ना कि बाजार में मिलनेवाली किसी गाइड से. और इस बात पर जरूर ध्यान दें कि आपको दूसरी किताब पूरी नहीं पढ़नी हैं. सिर्फ उतना ही पढ़ना है और उसे अपने नोट्स में शामिल करना है जिसका जवाब आपको अपनी बेसिक किताब में नहीं मिला है.
एक बात हमेशा ध्यान में रखें आपके नोट्स में हर टॉपिक के साथ कम से कम 5 पन्ने प्लेन होने चाहिए. क्योंकि जैसे-जैसे आपके पढ़ाई का स्तर बढ़ेगा आपको इस टॉपिक से जुड़े नए-नए फैक्ट मिलेंगे. जैसे ही कोई नया फैक्ट मिले उसे फौरन अपने नोट्स में जोड़ लीजिए. इसलिए सलाह यही दी जाती है कि नोट्स हमेशा A-4 साइज की प्लेन शीट पर बनाएं. क्योंकि जैसे-जैसे कोई फैक्ट आपको मिले आप जरूरत के हिसाब से शीट बढ़ा सकें. अगर आपको इस टॉपिक से जुडा कोई ड्राइग्राम या फिर फीगर मिलता है तो आप उसे सीधा फोटो कॉपी कराकर नोट्स में एड कर लीजिए.
इस छोटी-सी एक्सरसाइज से आप एक स्तरीय नोट्स बना सकते हैं. फिर आपको बेवजह की 10 किताबें पढ़ने की जरूरत नहीं होगी. एक बार मेहनत करके आप एक ऐसा नोट्स तैयार कर लेंगे जो हमेशा आपके काम आएगा. लेकिन हां, एक बात का ध्यान रखें बीच-बीच में आपको अपनी बेसिक किताब को पढ़ते रहना चाहिए. क्योंकि ये अनुभव रहा है कि आप एक ही किताब को जितनी बार पढ़ेंगे आपको नई चीज मिलेगी. आपका कांसेप्ट क्लियर होगा. फालतू की और ज्यादा से ज्यादा किताबों को पढ़ने से बचें। क्योंकि मोर स्टडी, मोर कंफ्यूजन वाली कहावत तो आपको पता ही होगी.
अगर आपको हमारी ये टिप्स पसंद आई तो इसे ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया पर शेयर करें. क्योंकि बहुत-से ऐसे प्रतियोगी छात्र और छात्राएं हैं जो इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि वो नोट्स कैसे बनाएं?