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Thursday, 21 December 2017

IAS और PCS में सलेक्शन के लिए Notes कैसे बनाएं? प्रैक्टिकल उपाय

नोट्स सफलता का पहला मंत्र है. अगर आपके नोट्स स्तरहीन हैं तो सफलता के चांसेज बहुत कम हो जाते हैं. लेकिन अगर आपके नोट्स स्तरीय हैं तो सफलता के चांसेज बढ़ जाते हैं. तो सवाल ये है कि एक स्तरीय नोट्स कैसे बनाएं? एक अच्छे नोट्स की क्या-क्या खासियत होनी चाहिए? आप नोट्स में ऐसा क्या लिखें जो आपको सफलता की ओर ले चले? आज हम आपको बिन्दुवार कुछ ऐसी गुढ़ बाते बताएंगे जिसे अपनाकर आप अपने नोट्स को स्तरीय बना सकते हैं. लेकिन उससे पहले नोट्स को लेकर कुछ गलत धारणाओं को समझना जरूरी है. तो आइए पहले समझते हैं नोट्स क्या नहीं है?
1-किताबों के अहम बिन्दुओं को सिर्फ कॉपी में नोट करना नोट्स नहीं है.
2-पांच-छह लोगों के नोट्स लेकर उसमें से अहम बातों को छांटना नोट्स नहीं है.
3-पूरी किताब को कॉपी में लिख लेना नोट्स नहीं है.
4-हर बिन्दुओं पर पांच-छह किताबों से प्वाइंट निकालकर लिखना नोट्स नहीं है.
तो सवाल ये है कि नोट्स क्या है? चलिए आपको बताते हैं कि नोट्स क्या है? नोट्स को कैसे बनाना चाहिए? नोट्स बनाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
दोस्तों किसी भी विषय पर नोट्स बनाने से पहले आपको ये तय करना होगा कि आप किस परीक्षा के लिए नोट्स बना रहे हैं. हम यहां पर आईएएस परीक्षा के लिए नोट्स बनाने की चर्चा कर रहे हैं. तो हम फोकस उसी पर करेंगे. आप बाकि परीक्षाओं के लिए भी इसी मैथेड से नोट्स बना सकते हैं.

मान लीजिए आप आधुनिक इतिहास विषय के लिए नोट्स बना रहे हैं। तो सबसे पहले आपके पास तीन चीज होनी जरूरी है. 
1-आधुनिक इतिहास का सलेबेस.
2-पिछले 10 साल का अनसॉल्व पेपर.
3-इतिहास की एक बेसिक किताब. ये किताब NCERT भी हो सकती है.

अगर आपको स्तरीय नोट्स बनाना है तो सबसे पहले आप आधुनिक इतिहास के सलेबस को कम से कम 2-3 बार पढ़ डालिए. फिर इसके बाद अनसॉल्व पेपर को लीजिए. कोशिश कीजिए अगर ऐसा अनसॉल्व पेपर मिल जाए जिसमें शीर्षक वाइज सवालों को छांटा गया है तो बहुत अच्छा होगा. इसके लिए यूथ प्रकाशन, घटनाचक्र प्रकाशन, अरिहंत प्रकाश से लेकर कई प्रकाशनों का सॉल्व आता है आप उसे भी ले सकते हैं.

इसके बाद आप सलेबस के हिसाब से देखिए कि किस टॉपिक से कितने सवाल पूछे जा रहे हैं? किस तरह के सवाल आ रहे हैं? सवालों की प्रकृति कैसे साल-दर-साल बदल रही है? इसे समझने के बाद आप बेसिक किताब उठाइए और उसे पहली बार में सरसरी निगाह से पढ़ डालिए. चाहे कुछ समझ में आये चाहे ना आए.

इसके बाद आप एक बार फिर सलेबेस देखिए और शीर्षक वाइज सवालों को पढ़िए. आपको समझ में आने लगेगा कि जो सवाल पूछे जा रहे हैं वो किताब में कहां पर हैं. अब फिर से बेसिक बुक पर जाइए और उसका गहन अध्ययन शुरू कीजिए. साथ में मार्कर या फिर हाईलाइट जरूर रखें. जैसे ही आपको लगे कि इस जगह से परीक्षा में सवाल आ रहे हैं उसे मार्क कर लें. इस एक्सर्साइज में थोड़ा वक्त लगेगा. लगने दें. क्योंकि इससे आपका किसी भी विषय पर बेसिक ज्ञान मजबूत होगा. ये आपके मजबूत बुनियाद की पहली ईंट है.

किताब पढ़ने के बाद आप सलेबेस और अनसॉल्व के सवालों को फिर से देखें. आपको अब समझ में आ जाएगा कि सलेबस में बहुत से ऐसे टॉपिक हैं जिससे परीक्षा में बहुत कम सवाल पूछे जाते हैं. और कुछ टॉपिक ऐसे होते हैं जिससे सबसे ज्यादा. अब आपको इन टॉपिको को अलग-अलग छांटकर लिखना है.

अब आप फिर से अपने बेसिक बुक पर जाइए और सवाल के हिसाब से देखिए किस टॉपिक से कितने सवाल आए हैं. जिस टॉपिक से ज्यादा सवाल आएं हैं उसे पहले तैयार कीजिए. सवाल के जवाब ही आपके नोट्स हैं. अब आपको करना ये है कि किसी भी सवाल को आप अलग-अलग तरीके से खुद बनाइए और उसका जवाब बेसिक किताब में ढूढ़िये. जैसे ही जवाब मिले उसे कॉपी में लिख लें. हो सके तो नोट्स में सवाल को भी लिखते चलें. क्योंकि इस टॉपिक से सवाल आ रहे हैं मतलब कमीशन चाहता है कि आपकी इस टॉपिक पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए. और इस टॉपिक से परीक्षा में सवाल आने के चांसेज भी ज्यादा हैं. जो टॉपिक कम महत्वपूर्ण लग रहे हैं उस पर ज्यादा वक्त ना लगाएं. क्योंकि अगर इस टॉपिक से सवाल आएगा तो सिर्फ आप नहीं बाकि प्रतियोगी छात्रों को भी दिक्कत होगी. सफल वही होता है जो कॉमन सवालों को गलत नहीं करता है. विशेष के चक्कर में रहेंगे तो कभी भी सफल नहीं हो पाएंगे.

अब आपको समझ में आएगा कि बहुत से ऐसे सवाल हैं जिसका आपके बेसिक किताब में जवाब नहीं हैं. तब आप दूसरी किताब की मदद लें. ध्यान दें मदद स्तरीय किताब से लें ना कि बाजार में मिलनेवाली किसी गाइड से. और इस बात पर जरूर ध्यान दें कि आपको दूसरी किताब पूरी नहीं पढ़नी हैं. सिर्फ उतना ही पढ़ना है और उसे अपने नोट्स में शामिल करना है जिसका जवाब आपको अपनी बेसिक किताब में नहीं मिला है.

एक बात हमेशा ध्यान में रखें आपके नोट्स में हर टॉपिक के साथ कम से कम 5 पन्ने प्लेन होने चाहिए. क्योंकि जैसे-जैसे आपके पढ़ाई का स्तर बढ़ेगा आपको इस टॉपिक से जुड़े नए-नए फैक्ट मिलेंगे. जैसे ही कोई नया फैक्ट मिले उसे फौरन अपने नोट्स में जोड़ लीजिए. इसलिए सलाह यही दी जाती है कि नोट्स हमेशा A-4 साइज की प्लेन शीट पर बनाएं. क्योंकि जैसे-जैसे कोई फैक्ट आपको मिले आप जरूरत के हिसाब से शीट बढ़ा सकें. अगर आपको इस टॉपिक से जुडा कोई ड्राइग्राम या फिर फीगर मिलता है तो आप उसे सीधा फोटो कॉपी कराकर नोट्स में एड कर लीजिए.

इस छोटी-सी एक्सरसाइज से आप एक स्तरीय नोट्स बना सकते हैं. फिर आपको बेवजह की 10 किताबें पढ़ने की जरूरत नहीं होगी. एक बार मेहनत करके आप एक ऐसा नोट्स तैयार कर लेंगे जो हमेशा आपके काम आएगा. लेकिन हां, एक बात का ध्यान रखें बीच-बीच में आपको अपनी बेसिक किताब को पढ़ते रहना चाहिए. क्योंकि ये अनुभव रहा है कि आप एक ही किताब को जितनी बार पढ़ेंगे आपको नई चीज मिलेगी. आपका कांसेप्ट क्लियर होगा. फालतू की और ज्यादा से ज्यादा किताबों को पढ़ने से बचें। क्योंकि मोर स्टडी, मोर कंफ्यूजन वाली कहावत तो आपको पता ही होगी.

अगर आपको हमारी ये टिप्स पसंद आई तो इसे ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया पर शेयर करें. क्योंकि बहुत-से ऐसे प्रतियोगी छात्र और छात्राएं हैं जो इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि वो नोट्स कैसे बनाएं?  

Saturday, 21 January 2017

निबंध में ज्यादा नंबर पाना चाहते हैं तो IPS धर्मेंद्र सर का ये लेख जरुर पढ़ें

How to Write Essay in Hindi?
दोस्तों Civil Services Exam की तैयारी कर रहे परीक्षार्थियों के लिए निबंध (Essay) एक अबूझ पहेली है. चाहे जितना पढ़ लो. चाहे जितना लिख लो, चाहे जितना समझ लो, लेकिन ये सवाल मन में बना ही रहता है कि एक आदर्श निबंध क्या होता है (Whats a Ideal Essay)? सब कहते हैं मौलिक लिखो. धारदार लिखो. कलमतोड़ लिखो, एकदम अलग लिखो, ऐसा लिखो, वैसा-लिखो. कोटेशन दो. प्रस्तावना ऐसे लिखो? निष्कर्ष में फलानी बात जरुर लिखो? लेकिन हकीकत ये है कि आजतक कोई भी एक आदर्श निबंध की संकल्पना को पेश नहीं कर पाया है. और ना ही पेश कर पाएगा क्योंकि निबंध कोई गणित नहीं है, जिसको हल करने का एक निश्चित फॉर्मूला हो.


जहां तक निबंध की मौलिकता की बात है तो उसके लिए आपको चिंतनशील होना जरुरी है. मसलन, आपको किसी चीज को देखने का नजरिया ऐसा रखना होगा जिससे आपके मन में खुद के विचार उठे. इसके लिए आपको नजरिया बदलना पड़ेगा. आप चीजों को दुनिया के चश्मे के बजाय खुद के चश्मे से देखें. निबंध की प्रस्तावना से लेकर निष्कर्ष तक की रूपरेखा खुद तैयार करें. 

निबंध में क्या लिखना है इससे पहले ये सोचे कि क्या ना लिखें? क्योंकि अगर आप बुरी चीजें पहले ही दिमाग से निकाल देंगे तो अच्छी चीजें की बचेंगी. एक अच्छे निबंध लेखन की बारीकी बताने के लिए हम नीचें 2006 Batch IPS धर्मेंद्र सिंह यादव का एक लेख नीचे पेश कर रहे हैं. इस लेख को धर्मेंद्र सर ने 20 जनवरी 2017 को दैनिक जागरण अखबार के संपादकीय पेज के लिए लिखा है. 


इस लेख को आप संपादकीय की बजाय इस नजरिए से पढ़िए IPS में सलेक्ट एक परीक्षार्थी कैसा लिखता होगा. क्योंकि लिखने की ये शैली धर्मेंद्र सर की तब भी वैसी ही रही होगी जब वो IPS में सलेक्ट हुए होंगे. ऐसा नहीं है कि 10 साल की नौकरी के बाद उनका लेखन पूरी तरह से बदल गया. हां कुछ व्यक्तिगत अनुभव जरुर जुड़ गए, जिससे लेखन में निखार आ गया.

निबंध की बारीकी बताने के लिए हम IPS धर्मेंद्र यादव सर के लेख में से उऩ बातों को अलग रंग में पेश कर रहे हैं जिसे परीक्षक एक्जाम देखता है. जिसे लेकर आप परेशान रहते हैं कि मौलिक कैसे लिखें. आज आपको समझ में आएगा कि एक मौलिक निबंध कहते किसे हैं? चूंकि इस लेख को समाचार पत्र के लिए लिखा गया है इसलिए इसमें कुछ नीजि विचार सर ने अपने अनुभव के डाले हैं, आप चाहें तो उसे छोड़ सकते हैं. इस लेख को तीन चार बार पढ़ने के बाद आपको समझ में आ जाएगा कि सलेक्ट होने वाले असफल छात्रों से क्या अलग होते हैं, क्यों उन्हें ज्यादा नंबर मिलते हैं. आगे अब आप धर्मेंद्र सर का लेख पढ़िए और अपना मूल्यांकन खुद कीजिए.
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सड़कसमाज और अराजकता

(20 जनवरी 2017 को दैनिक जागरण में प्रकाशित)

विचलित हो उठना हमारा क्षणिक सामूहिक-सामाजिक बोध है। ((मौलिक विचार),(उदाहरण) हरियाणा-पंजाब से फसलों के अवशेष जलाने से निकला धुआं दिल्ली में धुंध बनकर छाया। सुर्खियां बनीं। आम और खास लोग विचलित हुएलेकिन जैसे ही धुंध छटीबेचैनी और चिंता का भाव भी विलीन हो गया। यही सब आए दिन होने वाली घटनाओं और दुर्घटनाओं के मामले में होता है। (करेंट) अभी हाल में पटना में एक नौका डूबी। 20 से ज्यादा लोग असमय काल के गाल के समा गए। तय है कि लोग जल्द ही इस हादसे को भूल जाएंगेठीक वैसे ही जैसे कुछ वक्त पहले छठ के दौरान हुए हादसे को भूल गए। वह हादसा याद होता तो शायद यह वाला होता ही नहीं। हमारे देश में हर मोड़ और मौके पर दुर्घटनाएं होती ही रहती हैं। जहां कोई अंदेशा-आशंका नहीं होती वहां भी भयावह हादसे हो जाते हैं। (पूर्व की घटनाओं से संबंध) साल भर पुराने पुल भरभराकर ढह जाते हैं। चलती ट्रेन पटरी छोड़ देती है तो कई बार खड़ी ट्रेन में दूसरी ट्रेन टक्कर मार देती है। कुछ इलाकों में हर साल मानसून आते ही गांव के गांव सैलाब में बह जाते हैं। जब ऐसा कुछ होता हैहम विचलित हो उठते हैं और जल्द ही आगे बढ़ जाते हैंकिसी और हादसे पर विचलित होने के लिए। (मौलिक विचार) यह क्षणिक विचलता हमारी सामूहिक पहचान बन गई है। गत दिवस (करेंट का उदाहरण) उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक भीषण सड़क दुर्घटना में एक दर्जन से अधिक बच्चों की अकाल-मृत्य हो गई। इतने बच्चों की असमय मौत ने पूरे समाज को विचलित किया। (विचार के रूप के में मौलिक सवाल) एक समाज के तौर पर इतना मृत्युधर्मी समाज क्या कहीं और भी होगा !

(निबंध में विस्तार) अराजकताअव्यवस्थाउन्माद और मरणशीलता के घटकों से हमने ऐसा समाज रच डाला है जहां चारों ओर अस्तित्व का संघर्ष है। जीते रहने की लड़ाई है। इस लड़ाई में जो दुर्बल हैसाधन-विहीन है उसका जीवन-गुणांक छोटा है। उसकी लड़ाई भी कठिन है। वे चाहे नाव में डूबने वाले लोग हों या सैलाब में बह जाने वाले लोग या फिर फुटपाथ पर कुचल जाने वाले लोग! क्या यह सोचनीय नहीं कि इतना मरणशील समाज क्या किसी दैवीय प्रकोप का प्रतिफल है अथवा यह हमारे ही सोशल डिसऑर्डर का परिणाम हैएक विद्यालय जिसे शीत लहर के कारण प्रशासन के आदेश के तहत बंद रहना था वह खुला क्यों थास्कूली बच्चों को ले जा रही बस क्या जरूरी निर्धारित मानकों का पालन करती थीक्या बस का चालक परिवहन विभाग के मानकों का पालन करके ही नियुक्त हुआ था (नीजि विचार) अपने छोटे पेशेवर अनुभव से बिना कोई जांच हुए ही दावे से कह सकता हूं कि एक नहींअनगिनत उल्लंघनों के साथ यह बस बच्चों को लेकर सड़कों पर दौड़ती होगी। क्या तब हममें से किसी ने इस बस को देखादुर्घटना स्थल का दृश्य हृदय विदारक था। बस के पास बच्चों के बिखरे हुए स्कूली बैग दरअसल स्कूली बैग नहींहमारी सामाजिक व्यवस्था के चिंदी-चिंदी हुए कतरे हैं। (मौलिक विचार) यह किसी एक इकाई या व्यक्ति की लापरवाही का सवाल नहीं है। यह एक समाज के तौर पर हमारे बदतर होते जाने का सुबूत है। सप्ताह दर सप्ताह तरह-तरह की दुर्घटनाएं,अकाल मृत्य-ग्रस्त होते लोगउनकी चीखें-चीत्कार। क्या ये सभी दृश्य मिलकर अराजकताअव्यवस्था और उन्माद का एक कोलाज नहीं गढ़तेक्या हमें वाकई इस सबसे फर्क पड़ता हैक्या एक दर्जन से ज्यादा बच्चों की मौत हमें व्यवस्था पसंद समाज बना पाएगीक्या इस दिशा में सोचने के लिए रत्ती भर प्रेरित भी करेगी(विचार) अराजकता और सडकों का हमारे समाज में एक अटूट रिश्ता बन गया है। (विचार के संबंध में तथ्य) बड़े लोगों का एक बड़ा हिस्सा भिन्न-भिन्न प्रकार के वीआईपी में रुपांतरित हो गया है। इस हैसियत से उन्हें पुलिस पायलट या पुलिस एस्कॉर्ट लगी हुई सुरक्षित सड़कें प्रदान कर दी जाती हैं। आम आदमी के लिए तो सड़कें एक बेरहम जगह में तब्दील हो गई हैं-ऐसी जगह जो चलने की दैनिक जरूरत के अलावा भैंस-बकरी बांधने से लेकर तरह-तरह के त्यौहार मनाने के उपयोग में लाई जाती है। (मौलिक विचार) अपने देश में सड़़कें शक्ति प्रदर्शन की सर्व-स्वीकृत स्थल बन गईं हैं। त्यौहार होंधार्मिक शोभा यात्रएं हों अथवा जन प्रतिनिधियों के विजयी जुलुस(मौलिक विचार) सडकें उन्माद को स्पेस दे सकने की बेलौस संभावनाओं से भरी हुई जगहें हैं। हर तरह का वर्चस्व चाहे वह राजनीतिक होसामाजिक होधार्मिक हो अथवा किसी और तरह काअपना प्रकटीकरण सड़कों पर ही करता है। कभी-कभी ऐसा लगता है कि हमारे देश में अतिक्रमण सड़कों का पर्याय बन गया है। सड़कों पर आप केवल उस दशा में सुरक्षित नहीं हैं जब आप उस पर सफर कर रहे हों। शेष हर स्थिति में आप सड़क पर सुरक्षित हैं। हिंदी के एक समकालीन कवि केदार नाथ सिंह की एक कविता में सड़कइस मन: स्थिति में आती है- (अपने तर्कों के पक्ष में उद्धरणविद्धानों के विचारकविता,)
मुझे आदमी का सड़क पार करना
हमेशा अच्छा लगता है
क्योंकि इस तरह एक उम्मीद-सी होती है
कि दुनिया जो इस तरफ है
शायद उससे कुछ बेहतर हो
सड़क के उस तरफ

सड़क के दोनों ओर बेहतर दुनिया की तलाश में सड़क पार करना लाजमी है। सड़क पार करना ही नहींउस पर सफर करना भी आम आदमी का सबसे बड़ा जोखिम है। अपने देश में कुछ ज्यादा हीक्योंकि हम एक ऐसे देश हैं जहां (आकड़े) हर साल करीब डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। यह तब है जब हम अभी विकासशील देश हैं और दुनिया के कई देशों के मुकाबले हमारे यहां वाहन भी कम हैं। सडक को सड़क बने रहने देना हमारे समाज की सबसे बड़ी जिमेदारी है। (चिंता) क्षणिक विचलित होकर चीजें भुला देने की हमारी आदत अब एक रोग बन गई है। शोक व्यक्त करने से आगे बढ़कर यह सुनिश्चित करना हम सबकी जिम्मेदारी है कि ऐसे दर्दनाक हादसे फिर न हों। (मौलिक सोच) सुरक्षित सड़कें भी उतनी ही आवश्यक हैं जितनी सुरक्षित सरहदें। किसी भी समाज के चरित्र का सबसे बेहतर आकलन सड़कों पर ही होता है। हर चीज को डंडे से लागू कराने की पशु-वृत्ति से परे हमें आत्म-संयम और स्वानुशासन की जरूरत है जिसका हमारी शख्सियत में घनघोर अभाव है। ऐसी घटनाओं को पुन: न होने देना ही दिवंगत मासूमों को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कल्पना करें कि कैसा मातम पसरा होगा बच्चों के घर। बच्चों की किताबों के पन्ने फड़फड़ा रहे होंगे। उनमें से परियां निकलकर बच्चों को बहलाकर परी-लोक ले गईं। शायद परी लोक में सड़कें बेहतर होंगी। वहां की सड़कों पर बच्चे महफूज रहेंगे। वहां की सड़कें ही नहींवहां का समाज भी बेहतर होगा- हमसे कम अराजक,कम अव्यवस्थित और कम मृत्युधर्मी। अलविदा बच्चों।

(लेखक धर्मेंद्र सिंह यादव 2006 बैच के IPS अधिकारी हैं और गौतम बुद्ध नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हैं)
साभार:- दैनिक जागरण
NOTE:- दोस्तों अगर आपको हमारा ये प्रयास पसंद आया तो शेयर जरुर कीजिए, इससे हमारा हौसला बढ़ता है और इसी तरह की नई-नई चीजें हम आपके सामने लाने के लिए प्रेरित होते हैं.



Thursday, 20 October 2016

जनसंख्या से जुड़े ये 25 सवाल बार-बार परीक्षा में आते हैं, जरुर देख लें.

दोस्तों UPPCS, RO/ARO, LOWER, SSC  की तैयारी कर रहे परीक्षार्थियों के लिए हम लगातार उपयोगी नोट्स प्रकाशित कर रहे हैं. जनसंख्या से जुड़े कुछ सवाल हैं जो बार-बार परीक्षा में पूछे जाते हैं. सफल छात्र इन तथ्यों को अच्छी तरह से पहले ही तैयार कर लेते हैं. आपको भी सफल होना है तो इन तथ्यों को तैयार कर लेना चाहिए.  इन तथ्यों को बार-बार दोहराना चाहिए जो परीक्षा में आ सकते हैं. इसी बात को ध्यान में रखकर www.bookmynotes.com की टीम उन तथ्यों को प्रकाशित कर रही हैं जो परीक्षा के लिए बेहद अहम हैं. हमारी अनुभवी टीम को विश्वास है कि अगर आप इन तथ्यों को तैयार कर लेते हैं तो परीक्षा में आपकी सलेक्शन दर दूसरों से 80 से 90 फीसदी तक बढ़ जाएगी.

Friday, 7 October 2016

एक TRICK से सही होंगे कई सवाल, जरुर देखें

हर परीक्षा में राज्यों के नृत्यों से जुडे सवाल आते हैं. इन सवालों में कुछ सवाल ऐसे हैं जो अक्सर कंफ्यूजन की वजह से गलत हो जाते हैं. लेकिन अगर आप नीचे लिखें इन ट्रिक को दिमाग में फिट कर लें तो आगे से आपके ये सवाल गलत नहीं होंगे.

Thursday, 6 October 2016

गजब की TRICK? भूगोल के ये सवाल मिनटों में करें हल

दोस्तों भारत और उसके पड़ोंसी देशों को  लेकर हर एक्जाम में सवाल जरुर आते  हैं. पुराने पेपर्स को देखेंगे तो आप पाएंगे कि ज्यादातर सवाल इस तरह से होते हैं कि भारत की सीमा किन-किन पड़ोसी देशों से लगती है. भारत की सबसे लंबी सीमा किस देश से लगती  है? भारत की के कुल कितने राज्यों की सीमा पड़ोसी देशों से लगती है? वगैरह-वगैरह. परीक्षा में अक्सर ये सवाल आते हुए भी गलत हो जाता है क्योंकि सीमाओं की लंबाई और उसका क्रम याद रखना बेहद कठिन काम हैं. लेकिन अब आपकी ये परेशानी हमेशा के लिए छूमंतर हो जाएगी क्योंकि बस एक फॉर्मूला याद रखकर आप इस तरह से जुड़े दर्जनों को सवालों को मिनटों में हल कर सकते हैं. आपकी सहुलियत के लिए हमने यहां पर चार्ट के जरिए एक फॉर्मूला पेश किया है. इसे दो-तीन बार अच्छे से याद कर लीजिए. अगर आपने इस फॉर्मूले को समझ लिया  तो परीक्षा में आपके सवाल कभी गलत नहीं होगे.

RO/ARO परीक्षा के लिए IMP हैं विज्ञान से जुड़े ये सवाल, जरुर देख लें

Q. किसको 'आत्महत्या की थैली' कहा जाता है?
A-लाइसोसोम
Q.अत्याधिक शराब पीने से शरीर का कौन-सा अंग प्रभावित होता है?
A-लीवर (यकृत)
Q. शरीर में रक्त बैंक का काम कौम-सा अंग करता है?
A-तिल्ली (Spleen)
Q. भारत में प्रथम बार हृदय का सफल प्रत्यारोपण (हार्ट ट्रांसप्लांट) का किसने किया?
A-डॉ. पी. वेणुगोपाल

Monday, 3 October 2016

गजब की TRICK ! संविधान के ये सवाल सेकेंड में करें हल

दोस्तों भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान हैं. संविधान से जुड़े सवाल हर परीक्षा में आते हैं. अगर आप ध्यान दें तो आपने एक बात पर गौर किया होगा संविधान से जुड़ा एक सवाल अक्सर परीक्षा में आता है कि संसदीय विधि निर्माण, नीति निदेशक तत्व, आपातकाल, समवर्ती सूची जैसे प्रवधान किस देश से लिए गए हैं. इन सवालों से जुड़े तथ्यों को याद करने की हम शानदार ट्रिक पेश कर रहे हैं. नीचे लिखे ट्रिक को पढ़िए और दिमाग में बैठा लीजिए.

Wednesday, 21 September 2016

इस TRICK से GK के कठिन सवाल हो जाएंगे आसान, आजमा कर देखें


हर परीक्षा में राज्यों के नृत्यों से जुडे सवाल आते हैं. इन सवालों में कुछ सवाल ऐसे हैं जो अक्सर कंफ्यूजन की वजह से गलत हो जाते हैं. लेकिन अगर आप नीचे लिखें इन ट्रिक को दिमाग में फिट कर लें तो आगे से आपके ये सवाल गलत नहीं होंगे.

Sunday, 6 March 2016

गजब की TRICK, जरुर पढ़ें... अब परीक्षा में गलत नहीं होंगे सवाल !

हर परीक्षा में राज्यों के नृत्यों से जुडे सवाल आते हैं. इन सवालों में कुछ सवाल ऐसे हैं जो अक्सर कंफ्यूजन की वजह से गलत हो जाते हैं. लेकिन अगर आप नीचे लिखें इन ट्रिक को दिमाग में फिट कर लें तो आगे से आपके ये सवाल गलत नहीं होंगे. ये ट्रिक फेसबुक के ग्रुप UPPSC TARGET में Ardneyajiv Patarp ने पोस्ट किया है. उनकी वॉल से साभार लेकर हम ये पोस्ट आपकी सहूलित के लिए नीचे प्रकाशित कर रहे है.

Monday, 8 February 2016

अगर आपने 6 बातों को अपना लिया तो IAS बनने से कोई रोक नहीं सकता !



अगर आपको परीक्षा का डर सताता है तो शिवा ठाकुर शिवा जी का ये लेख आपके लिए ही है. शिवा जी ने अपनी फेसबुक वॉल पर साथियों की मदद के लिए ये लेख लिखा है. हम उनके फेसबुक वॉल से साभार लेकर इस लेख को पोस्ट कर रहे हैं ताकि लाखों छात्र जो परीक्षा के नाम से डरते हैं, उन्हें सही मार्गदर्शन मिल सके. हमें यकीन ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि अगर आपने शिवा जी के इन प्रैक्टिकल सुझाव को माना तो दुनिया की कोई ताकत आपको किसी भी परीक्षा में कामयाब होने से नहीं रोक सकती है. आपकी सहुलियत के लिए नीचे हम शिवा जी का अद्भुत लेख हू-ब-हू पेश कर रहे हैं ताकि आप उसे उसी भाव और अर्थ में समझ सके.

Wednesday, 13 January 2016

गजब की TRICK, "भाई तू भी मजे कर"... एक बार जरुर देखें, कठिन सवाल हो जाएंगे आसान !

दोस्तों, हर परीक्षा में संविधान से जुड़ा एक सवाल जरुर आता है. सवाल होता है, बताइए देश में कितने राज्यों में विधान परिषदेें हैं. या तो फिर सवाल इस तरह से आता  है कि चार राज्यों के नाम दे दिए जाते हैं और पूछा जाता है कि इनमें से किस राज्य में विधान परिषद नहीं है. ये  सवाल है तो बहुत  आसान लेकिन कंफ्यूजन की वजह से अक्सर गलत हो जाता है. लेकिन अब आपकी ये  परेशानी दूर हो जाएगी क्योंकि हम जो TRICK आपके सामने पेश कर रहे हैं अगर आपने उसे अपने दिमाग में फिट कर लिया  तो किसी भी हालत में आपका ये सवाल कभी गलत नहीं होगा. तो इस TRICK को दिमाग में बैठा लीजिए और इस पोस्ट को शेयर करके अपने दोस्तों तक भी पहुंचाइए क्योंकि ज्ञान बांटने बढ़ता है.
अगर ये फॉर्मूलाा आपका एक सवाल सही करवा दे तो आप सलेक्शन के बिल्कुल करीब पहुंच जाते हैं क्योंकि सफल और असफल कैंडिडेट्स में सिर्फ एक सवाल का अंतर होता है. उदाहरण के लिए 200 नंबर पाने वाले का सलेक्शन हो जाता है और 199 पाने वाले का नहीं. तो आप कहां रहना चाहते हैं खुद तय करें. सफल होना है तो इस TRICK को बार-बार पढ़कर याद कर लें.
NOTE:-ये पोस्ट फेसबुक मित्र धीरज साहू जी के वॉल से साभार ली गई है. मकसद है ज्यादा से ज्यादा लोग को इस तरह की TRICK को बताना जो इस तरह के सवालों को कंफ्यूजन की वजह से बार-बार गलत करते  हैं. 
ये TRICK जिस भी किसी चैंपियन ने इजाद की है उनका www.bookmynotes.com की तरफ से बहुत-बहुत शुक्रिया. अगर आपके पास भी ऐसी कोई TRICK है तो आप हमें [email protected] पर भेज सकते हैं या  फिर हमारी फेसबुक वॉल पर पोस्ट कर सकते हैं. हम आपकी पोस्ट  को भी अपनी वेबसाइट पर छापेंगे.

किन-किन राज्यों में विधान परिषद है?

राज्य

1-
तेलंगाना
T

2-
उत्तरप्रदेश
U

3-
बिहार
B

4-
महाराष्ट्र
M

5-
जम्मू-कश्मीर
J

6-
आंध्र प्रदेश
A

7-
कर्नाटक
KAR


 

देश के कुल 7 राज्यों में विधान परिषद है
                       TRICK
भाई तू (TU) भी (B) मजा (MAJ) कर (KAR)

























Monday, 11 January 2016

गजब की TRICK, संविधान के ये सवाल अब कभी गलत नहीं होंगे, जरूर देखें, दिमाग में ये TRICK फिट कर लें


दोस्तों भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान हैं. संविधान से जुड़े सवाल तकरीबन हर परीक्षा में आते हैं. संविधान से जुड़ा ये सवाल अक्सर परीक्षा में आता है कि संसदीय विधि निर्माण, नीति निदेशक तत्व, आपातकाल, समवर्ती सूची जैसे प्रवधान किस देश से लिए गए हैं. www.bookmynotes.com के पाठक और https://www.facebook.com/bookmynotes/  के मित्र विष्णु यादव जी ने अपनी वॉल पर इन सवालों से जुड़े तथ्यों को याद करने की शानदार ट्रिक पेश की है. हम उस ट्रिक को थोड़ा परिष्कृत करके आपके सामने पेश कर रहे हैं. सभी प्रतियोगी छात्र इस ट्रिक का फायदा उठा सकते हैं. क्योंकि तकरीबन हर परीक्षा में इस सेक्सन से सवाल आने तय होते हैं. आराम से नीचे लिखे ट्रिक को पढ़िए और दिमाग में बैठा लीजिए.

TRICK
भारतीय संविधान में किन देशों से क्या लिया गया है. इसे समझने के लिए ट्रिक देखें. 

NOTE:-तथ्यों को याद करने के लिए एक काल्पनिक घटना का सहारा लिया गया है. इस घटना का वास्तविकता से कोई सरोकार नहीं है.
‪#TRICK:-↡↥↥

एक बार कुछ देश के लोग बैठकर आपस में बातें कर रहे थे. भारत की तरफ से संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर चुप-चाप सुन रहे थे. बातें कुछ इस प्रकार हो रही थी.

.‪#ब्रिटेन:-पूरे देश पे मेरा कब्जा था इसलिये संसद का निर्माण हम अकेले करेंगे.

(संसदीय प्रणाली, विधि निर्माण, एकल नागरिकता)


‪#अमेरीका:-नहीं मेरे पास संयुक्त राष्ट्र संघ है. इसलिए लोगों को न्याय और स्वतंत्रता दिलाना मेरा अधिकार है.

(न्यायिक, स्वतंत्रता का अधिकार और मौलिक अधिकार)


‪#जर्मनी:- तुम लोग हमें विश्व युद्ध में हराए हो इसलिए पहले मैं आपातकाल घोषित करुंगा
(आपातकाल का सिद्धांत)


‪#फ्रांस :- मैं तो पहले से ही गणत्रंत वाला देश हूं ये तो तुम सब जानते ही हो.

(गणत्रंतात्मक शासन व्यवस्था)

‪#कनाडा:- तुम लोग को जो करना हो करो. मैं एक शक्तिशाली देश हूं मैं तो शक्ति का बंटवारा करके अपनी सुरक्षा कर लूंगा.
(राज्यों में शक्ति का विभाजन)

#आयरलैंड :- अरे यार  ! तुम लोग की नीति निर्देश तो मेरे कुछ समझ में ही नहीं आ रहे हैं.
(नीति निदेशक तत्व)

‪#ऑस्ट्रेलिया:- मैं विश्व कप क्रिकेट में हमेशा सूची नंबर-1 पर रहा हूं. 

(समवर्ती सूची)


‪#दक्षिण अफ्रीका:- पर मैं इतना अच्छा खेलने के बाद भी आजतक सेमीफाइनल तक भी नहीं पहुंच पाया. शायद हमें अपने खेल में कुछ संशोधन की जरुरत है. 

(संविधान संशोधन की प्रक्रिया)


‪#रूस:- भारत मेरा दोस्त है और उसकी मदद करना हमारा मूल कर्तव्य है. 

(मूल कर्तव्य का सिद्धांत)


सभी देशों का सुनने के बाद अंबेडकर जी ने बड़े ही आराम से कहा

#इंडियन कुछ ऐसा करते हैं कि दुनिया याद रखती है. ये लो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का सबसे बड़ा लिखित संविधान.
(दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान)


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