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Wednesday, 31 January 2018

जीन अभियांत्रिकी क्या है? इस टॉपिक से कैसे बनते हैं सवाल?

जीन अभियांत्रिकी (अनुवांशिकी अभियांत्रिकी)

जब किसी जीव के जीन में कृत्रिम परिवर्तन कर उसी के अनुरूप उसके लक्षण में परिवर्तन किया जाता है तो यह प्रयोगशाला तकनीक जीन अभियांत्रिकी कहलाती है. इस तकनीकी में D.N.A या जीन को काटने के लिए रेस्ट्रिक्शनएन्जाइम तथा जीन को जोड़ने के लिए लाइगोज एन्जाइम प्रयुक्त किये जाते हैं.

Question:-

आज-कल मधुमेह रोगियों के लिए इन्सुलिन का इंजेक्शन प्राप्त किया जाता है-
(A) गाय से
(B) चूहा से
(C) सूअर से
(D) बैक्टीरिया से
ANSWER-बैक्टीरिया से

Important Fact for EXAM:-

इंसुलिन का उपरोक्त उत्पादन ट्रांसजेनिक तकनीकी की सहायता से कोलीफार्म बैक्टीरिया द्वारा किया जाता है. इस व्यापारिक इंसुलिन को ह्यूमुलिन (Humulin) की संज्ञा दी गई है. इसी प्रकार आजकल ट्रांसजेनिक तकनीकी की सहायता से-
v  ट्रांसजनिक पशु व फसलों का विकास किया जाता है.
v  फसलों को कीटरोधी (उदाहरण-बी.टी कॉटन) तथा प्रतिकूल वातावरण रोधी बनाया जाता है.
v  खाद्य-टीका का उत्पादन किया जाता है.
v  अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए ट्रांसजेनिक बैक्टिरिया Bugs तथा  Super Bugs क्रमशः प्लास्टिक पेट्रोलियम जैसे रसायनों को विघटित करने में समर्थ होते हैं.
v  जैव विघटनशील प्लास्टिक का उत्पादन किया गया है जिसे बायोपोल की संज्ञा दी गई है.
v  मकड़ियों द्वारा जाले के निर्माण में श्रावित पदार्थ को ट्रांसजेनिक तकनीक से अतिकठोरता प्रदान करने का परीक्षण किया गया है जिसे बायोस्टील की संज्ञा दी गई है.
v  जैव ऊर्वरक या बायो फर्टिलाइजर, जैव पीड़कनाशी, जैव कीटकनाशी इत्यादि का उत्पादन किया जाता है.

जैव उर्वरक (Bio Fertilizer)
जीव कोशिकाओं से प्राप्त ऐसे जैव रसायन जो भूमि की उर्ववरता को बढ़वा देते हैं जैव उर्वरक कहलाते हैं. ये उर्ववरक अपेक्षाकृत सस्ते तथा तीव्र होते हैं और यह पर्यावरण में प्रदूषण पैदा नहीं करते हैं. जैसे-
Ø  अनेक प्रकार के बैक्टिरिया-नाइट्रोसोमोनस, एजोटो बैक्टर, नाइट्रोबेक्टर, राइजोबियम (दलहनी फसलों की जड़ों में)
Ø  थियोबेसीलम की कुछ प्रजातियां (सल्फेटी उर्वरक)
Ø  क्लास्ट्रीयिम की कुछ प्रजातियां तथा अन्य
Ø  नाइट्रिकारी बैक्टिरिया.
ü  थियोबेसीलस डिनाइट्रीफिकेंस मृदा की नाइट्राइट एवं नाइट्रेट को स्वतंत्र नाइट्रोजन में मुक्त कर भूमि की उर्वरता को कम करता है.
ü  नील----हरित शैवाल---नोस्टोक और एनाबिना
ü  माइक्रोराइजल कवक (फास्फेटी उर्वरक)
ü  एजोला नामक फर्न
ü अल्फा-अल्फा, नीम, सनई

जैव-पीड़क नाशीः-
ऐसे जैव रसायन जो खर-पतवार या अपतृण (Weeds) तथा कीटों को नष्ट करते हैं जैव-पीड़कनाशी कहलाते हैं. इसके अंतर्गतः-

1-जैव-अपतृणनाशीः-
ऐसे जैव-पीड़कनाशी जो फसलों के लिए हानिकारक खर-पतवार को नष्ट करते हैं जैव-अपतृणनाशी कहलाते हैं. उदाहरण-कवकों (Fungi) से प्राप्त किये गये कोलेगो, वेल्गो, लुबोआ-लुबोआ, डिवाइन ABC-5003, इत्यादि प्रमुख है.

2-जैव-कीटनाशी-
ऐसे जैव पीड़कनाशी जो मनुष्य तथा फसलें दोनों के लिए हानिकारक कीटों को नष्ट करती है जैव कीटनाशी कहलाती है. जैसे-एजैडिरैचिटिन (नीम के मार्गोसीन रसायन से), पाइरेथ्रिन, सिनेरिन, थुरियोसाइट्स, इत्यादि.

Important Fact for EXAM:-

थुरियोसाइट्सः-
थुरियोसाइट्स नामक जैव कीटनाशी, Bacillus Thuringia sis नामक बैक्टिरिया के B.T जीन के नियंत्रण में संश्लेणित होता है. अमेरिकी कंपनी मोनेसेंटो द्वारा इस B.T जीन को टर्मिनेटर जीन तकनीकी के अंतर्गत कपास की ऐसी फसल में अंतर्विष्ट कराया गया है जो कीटरोधी होने के कारण अधिक पैदावार देने में सफल हुई है, परंतु इस फसल से उत्पन्न बीजों में अगली पीढ़ि के लिए सफल ढंग से अंकुरण की क्षमता समाप्त हो गई. अर्थात ये बीज यदि अंकुरित हो भी सकते हैं, परंतु इसमें पुष्प, फल, बीज इत्यादि का विकास नहीं होगा. आजकल यह तकनीकी अन्य फसलों में भी अपनायी जाती है. वर्मिनेटर जीन तकनीकी टर्मिनेटर जीन तकनीकी के समान है, परंतु वर्मिनेटर बीजों में अगली एक पीढ़ि के लिए अंकुरण की क्षमता पायी जाती है.


Thursday, 28 December 2017

Clone क्या है? क्या आप क्लोनिंग के बारे में जानते हैं? पूरा कांसेप्ट करें क्लियर

क्लोन (Clone in Hindi)
यदि दो अलग-अलग कोशिकाओं की जींस रचना परस्पर बिल्कुल समान हो तो इनके गुणों में भी समानता होती है. अतः ये कोशिकाएं आपस में क्लोन कहलाती हैं. इसी प्रकार दो अलग-अलग जीवों की जींस रचना समान होने पर इन्हें भी परस्पर क्लोन कहा जाता है. क्लोन विकसित करने की तकनीक क्लोनिंग कहलाती है.
Question:-

किसी पौधे का क्लोन विकसित करने के लिए उसी पौधे के किस भाग से कोशिका लेनी पड़ेगा-
(A)- भ्रूण (Embryo)
(B)- भ्रूण पोष (endosperm)
(C)- बीज
(D) इनमें से कोई नहीं.

ANSWER-(D)

स्पष्टीकरणः-
Ø  उपरोक्त प्रश्न में सभी अवस्थायें युग्मक कोशिकाओं के निषेचन के फलस्वरूप उत्पन्न होती हैं. अतः क्रासिंग ओवर के कारण उनके जींस में बदलाव आ जाता है. अतः किसी पौधे का क्लोन विकसित करने के लिए उसके कायिक भागों या सोमेटिक भाग जैसे-जड़, तना, इत्यादि से कोशिका लेनी पड़ेगी.
Ø  डॉली भेड़ के क्लोनिंग प्रकरण में (डॉली नाम जर्मन गायिका का है) वैज्ञानिक द्वारा इसके माता भेड़ से थन कोशिका (कायिक या Somatic) तथा दूसरी अंडाणु कोशिका (युग्मक) ली गई, परन्तु अंडाणु कोशिका के जींस को थन कोशिका के जींस से प्रतिस्थापित कर दिया गया.

Question:-
निम्नलिखित में किसे परस्पर क्लोन माना जा सकता हैः-
(A) भातृ जुड़वा
(B) समरूप जुड़वा
(C) स्यामीज जुड़वा
(D) इनमें से कोई नहीं.

ANSWER-(D)
स्पष्टीकरणः-
Ø  भातृ-जुड़वा एक ही समय पर निर्मित दो अलग-अलग जाइगोट से विकसित होते हैं, अतः इनके जींस में भिन्नता आ जाती है.
Ø  समरूप जुड़वा एक ही जाइगोट के विभाजन से व्युत्पन्न होते हैं, अतः इनके जींस में समानता होती है.
Ø  समरूप जुड़वा के अंतर्गत परस्पर जुड़े हुए संताने स्यामीज जुड़वा कहलाती है.
Ø  मनुष्य में प्राकृतिक निषेचन फैलिपियोन नलिका के समीपस्थ भागों में होता है. इसी भाग में प्रारंभिक भ्रूणीय विकास शुरू हो जाता है, जबकि अंतिम भ्रूणीय विकास गर्भाशय में होता है, जबकि परखनखी शिशु या Test Tube Baby में निषेचन शरीर के बाहर (प्रायः परखनली में) होता है, जबकि भ्रूणीय विकास शरीर के अंदर होता है.

v  आजकल कृत्रिम निषेचन की अनेक विधियां बनायी जाती है. जैसे-
1-G.I.F.T (Gamete Intra Fallopian Tramps)
इसमें युग्मक कोशिकाओं को फैलोपियन नलिका में स्थान्तरित किया जाता है.
2-Z.I.F.T (Zaigot Intra Fallopian Transer)
इसमें बाहर से निर्मित जाइगोट, सीधे फैलोपियन नलिका में स्थान्तरित किया जाता है.
3-I.C.S.I (Intra Cytoplasmic Sperm Injection)-
इसमें शुक्राणु कोशिका सीरिन्ज में लेकर अंडाणु कोशिका में कोषा द्रव्य में सीधे अंतरविष्ट करा दिया जाता है.

Question:-
किसी भी प्राणी में माइट्रोकांड्रिया के जिन्स वित्पुन्न होते हैः-
(A) पिता से
(B) माता से
(C) दोनों से
(D) किसी से नहीं.

ANSWER-(D)

स्पष्टीकरणः-
चूंकि निषेचन प्रक्रिया में अंडाणु कोशिका पूर्णरूपेण भाग लेती है, जबकि शुक्राणु कोशिका का केवल केंद्रक युक्त सिर भाग ही निषेचन में सफल हो पाता है. अतः माइट्रोकांड्रिया शुक्राणु के मध्य भाग में स्थित होने के कारण यह निषेचन से बाहर रह जाती है.

स्टेम सेल (Stem Cell)
मनुष्य में शुक्राणु तथा अंडाणु के निषेचन से एक कोशिकीय जाइगोट की रचना बनती है जो भ्रूणीय विकास (विदलन प्रक्रिया) के माध्यम से क्रमशः मारुला, ब्लास्टुला (ब्लास्टोसिस्ट) तथा गैस्टुला की अवस्थाएं विकसित करता है. भ्रूण के प्रारंभिक दशा में इसकी कुछ मौलिक कोशिकाएं भिन्न अंगों को विकसित करने के लिए विशिष्टिकृत हो जाती हैं जो स्टेम कोशिकाएं कहलाती हैं. मनुष्य में ये कोशिकाएं ब्लास्टोसिस अवस्था से प्राप्त हो सकती हैं. इन स्टेम कोशिकाओं में विभाजित एवं पुनरूद्धभवन के द्वारा ये प्रयोगशाला में विशिष्ट अंगों को विकसित करने में समर्थ हो जाती हैं. स्टेम कोशिकाओं की सहायता से कैंसरग्रस्त अंगों का जैव रासायनिक नियंत्रणएटोप्टॉसिसकहलाता है.

Wednesday, 8 November 2017

क्लोन (CLONE) क्या है? परीक्षा में इस टॉपिक से कैसे बनते हैं सवाल?

क्लोन (Clone)
यदि दो अलग-अलग कोशिकाओं की जींस रचना परस्पर बिल्कुल समान हो तो इनके गुणों में भी समानता होती है. अतः ये कोशिकाएं आपस में क्लोन कहलाती हैं. इसी प्रकार दो अलग-अलग जीवों की जींस रचना समान होने पर इन्हें भी परस्पर क्लोन कहा जाता है. क्लोन विकसित करने की तकनीक क्लोनिंग कहलाती है।

Question:-
किसी पौधे का क्लोन विकसित करने के लिए उसी पौधे के किस भाग से कोशिका लेनी पड़ेगा-
(A)- भ्रूण (Embryo)
(B)- भ्रूण पोष (endosperm)
(C)- बीज
(D) इनमें से कोई नहीं.
ANSWER-(D)

स्पष्टीकरणः-
Ø  उपरोक्त प्रश्न में सभी अवस्थायें युग्मक कोशिकाओं के निषेचन के फलस्वरूप उत्पन्न होती हैं. अतः क्रासिंग ओवर के कारण उनके जींस में बदलाव आ जाता है. अतः किसी पौधे का क्लोन विकसित करने के लिए उसके कायिक भागों या सोमेटिक भाग जैसे-जड़, तना, इत्यादि से कोशिका लेनी पड़ेगी.
Ø  डॉली भेड़ के क्लोनिंग प्रकरण में (डॉली नाम जर्मन गायिका का है) वैज्ञानिक द्वारा इसके माता भेड़ से थन कोशिका (कायिक या Somatic) तथा दूसरी अंडाणु कोशिका (युग्मक) ली गई, परन्तु अंडाणु कोशिका के जींस को थन कोशिका के जींस से प्रतिस्थापित कर दिया गया.

Question:-
निम्नलिखित में किसे परस्पर क्लोन माना जा सकता हैः-
(A) भातृ जुड़वा
(B) समरूप जुड़वा
(C) स्यामीज जुड़वा
(D) इनमें से कोई नहीं.
ANSWER-(D)

स्पष्टीकरणः-
Ø  भातृ-जुड़वा एक ही समय पर निर्मित दो अलग-अलग जाइगोट से विकसित होते हैं, अतः इनके जींस में भिन्नता आ जाती है.
Ø  समरूप जुड़वा एक ही जाइगोट के विभाजन से व्युत्पन्न होते हैं, अतः इनके जींस में समानता होती है.
Ø  समरूप जुड़वा के अंतर्गत परस्पर जुड़े हुए संताने स्यामीज जुड़वा कहलाती है.
(चित्र आयेगा)
Ø  मनुष्य में प्राकृतिक निषेचन फैलिपियोन नलिका के समीपस्थ भागों में होता है. इसी भाग में प्रारंभिक भ्रूणीय विकास शुरू हो जाता है, जबकि अंतिम भ्रूणीय विकास गर्भाशय में होता है, जबकि परखनखी शिशु या Test Tube Baby में निषेचन शरीर के बाहर (प्रायः परखनली में) होता है, जबकि भ्रूणीय विकास शरीर के अंदर होता है.
v  आजकल कृत्रिम निषेचन की अनेक विधियां बनायी जाती है. जैसे-
1-G.I.F.T (Gamete Intra Fallopian Tramps)
इसमें युग्मक कोशिकाओं को फैलोपियन नलिका में स्थान्तरित किया जाता है.
2-Z.I.F.T (Zaigot Intra Fallopian Transer)
इसमें बाहर से निर्मित जाइगोट, सीधे फैलोपियन नलिका में स्थान्तरित किया जाता है.
3-I.C.S.I (Intra Cytoplasmic Sperm Injection)-
इसमें शुक्राणु कोशिका सीरिन्ज में लेकर अंडाणु कोशिका में कोषा द्रव्य में सीधे अंतरविष्ट करा दिया जाता है.

Question:-
किसी भी प्राणी में माइट्रोकांड्रिया के जिन्स वित्पुन्न होते हैः-
(A) पिता से
(B) माता से
(C) दोनों से
(D) किसी से नहीं.
ANSWER-(D)

स्पष्टीकरणः-
चूंकि निषेचन प्रक्रिया में अंडाणु कोशिका पूर्णरूपेण भाग लेती है, जबकि शुक्राणु कोशिका का केवल केंद्रक युक्त सिर भाग ही निषेचन में सफल हो पाता है. अतः माइट्रोकांड्रिया शुक्राणु के मध्य भाग में स्थित होने के कारण यह निषेचन से बाहर रह जाती है.

स्टेम सेल (Stem Cell)
मनुष्य में शुक्राणु तथा अंडाणु के निषेचन से एक कोशिकीय जाइगोट की रचना बनती है जो भ्रूणीय विकास (विदलन प्रक्रिया) के माध्यम से क्रमशः मारुला, ब्लास्टुला (ब्लास्टोसिस्ट) तथा गैस्टुला की अवस्थाएं विकसित करता है. भ्रूण के प्रारंभिक दशा में इसकी कुछ मौलिक कोशिकाएं भिन्न अंगों को विकसित करने के लिए विशिष्टिकृत हो जाती हैं जो स्टेम कोशिकाएं कहलाती हैं. मनुष्य में ये कोशिकाएं ब्लास्टोसिस अवस्था से प्राप्त हो सकती हैं. इन स्टेम कोशिकाओं में विभाजित एवं पुनरूद्धभवन के द्वारा ये प्रयोगशाला में विशिष्ट अंगों को विकसित करने में समर्थ हो जाती हैं. स्टेम कोशिकाओं की सहायता से कैंसरग्रस्त अंगों का जैव रासायनिक नियंत्रणएटोप्टॉसिसकहलाता है.

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