दोस्तों, डायरी लेखन कला विलुप्त-सी हो गई है. लेकिन ये वो कला है जो आपका व्यक्तित्व निखारती है. आपके व्यक्तित्व में चार चांद लगाती है. डायरी लेखन से ना सिर्फ आपके विचार खिलते हैं बल्कि आपकी लेखन शैली भी सुधरती है. अगर आप सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं तो इस कला को आत्मसात कर लीजिए. क्योंकि ऐसा कहा जाता है.
जो लिखता है,
वो दिखता है,
जो दिखता है,
वो बिकता है...
यहां आप बिकता का मतलब सेलेक्सन से लगा सकते हैं. मैं ऐसे दर्जनों लोगों को जानता हूं जो प्रारंभिक परीक्षा के मास्टर होते हैं. लेकिन जब मुख्य परीक्षा की बात आती है तो उनके पसीने छूटने लगते हैं. अगर आप भी लिखने से डरते हैं तो इस डर को दूर भगाइये...
आपके इस डर को दूर करने के लिए हम यहां पर PCS अफसर शिव कुमार सिंह की डायरी का लिंक पेश कर रहे हैं. इस लिंक को क्लिक करके आप असिस्टेंट कमीश्नर शिव सर की डायरी पढ़ सकते हैं. इस डायरी को पढ़ने से आपको दो फायदे होंगे. पहला तो आप एक सफल आदमी की लेखन शैली से परिचित होंगे और दूसरा आपको पता चलेगा कि आप जिस कंपटीशन के लिए दिन-रात तैयारी कर रहे हैं उस कंपटीशन को पास करने के बाद आपके सोचने का स्तर क्या हो जाता है?...
हमारी सलाह है कि शिव सर की इस डायरी को आप इस नज़रिये से पढ़िये की एक सेलेक्टेड अफसर जब मेंस में लिखता होगा तो कैसे लिखता होगा? निबंध का तानाबाना वो कैसे बुनता होगा? वो विचारों में कैसे तारत्मयता बिठाता होगा? कैसे सवालों की फ्रेमिंग करता होगा? खासतौर से इस डायरी को पढ़ने के बाद आपको पता चलेगा कि कोई सफल क्यों होता है? असफल क्यों?...
PCS अफसर शिव कुमार सर की डायरी पढ़ने के लिए आप यहां पर CLICK करें.
छोटी-सी अपील
शिव सर की इस मेहनत को ज्यादा से ज्यादा छात्रों तक पहुंचाएं. इसके लिए आप नीचे फेसबुक शेयर के बटन को दबाएं.
शिव सर के नोट्स अगर आप चाहते हैं तो यहां पर CLICK करें.
जो लिखता है,
वो दिखता है,
जो दिखता है,
वो बिकता है...
यहां आप बिकता का मतलब सेलेक्सन से लगा सकते हैं. मैं ऐसे दर्जनों लोगों को जानता हूं जो प्रारंभिक परीक्षा के मास्टर होते हैं. लेकिन जब मुख्य परीक्षा की बात आती है तो उनके पसीने छूटने लगते हैं. अगर आप भी लिखने से डरते हैं तो इस डर को दूर भगाइये...
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हमारी सलाह है कि शिव सर की इस डायरी को आप इस नज़रिये से पढ़िये की एक सेलेक्टेड अफसर जब मेंस में लिखता होगा तो कैसे लिखता होगा? निबंध का तानाबाना वो कैसे बुनता होगा? वो विचारों में कैसे तारत्मयता बिठाता होगा? कैसे सवालों की फ्रेमिंग करता होगा? खासतौर से इस डायरी को पढ़ने के बाद आपको पता चलेगा कि कोई सफल क्यों होता है? असफल क्यों?...
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