Wednesday, 5 October 2016

MAINS में लिखने की कला कैसे विकसित करें? कुछ प्रैक्टिकल उपाय

किसी भी विषय पर लिखने के लिए सबसे जरुरी है हाथ और दिमाग के बीच सामंजस्य. अगर दिमाग में उठने वाले विचार बहुत तेजी से आ रहे हैं और हाथ उसे शब्द नहीं दे पा रहे हैं तो निश्चिततौर पर आप अच्छा नहीं लिख पाएंगे. और इसके उल्टा अगर हाथ तेजी से लिख रहा है और विचार उतनी तेजी से नहीं आ रहे हैं तो भी आप अच्छा नहीं लिख पाएंगे. तो सवाल उठता है कि हाथ और मस्तिष्क में तालमेल बैठाने के लिए क्या करें?



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इससे संबंधित एक पौराणिक कथा है. आपने पहले भी पढ़ी या सुनी होगी, लेकिन ध्यान नहीं दिया होगा. आज इस कथा को जरा गौर से पढ़िए, इस कहानी से आपकी लिखने की टेंशन काफी हदतक कम हो जाएगी. कथा के मुताबिक जब श्री ब्यास जी ने वेदों को लिपिबद्ध करना शुरु किया तो उन्हें लिखने में सिद्धहस्त व्यक्ति की जरुरत पड़ी. जब ब्यास जी ने देवी-देवताओं से इस समस्या का निदान पूछा तो सब ने गणेश जी से अनुरोध करने का सुझाव दिया. सुझाव के मुताबिक जब ब्यास जी ने गणेश जी से मिलने गए. उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा लेखक चाहिए जिसे मैं एक बार बोलूं तो वो दोबार मुझसे ना पूछे. तब गणेश जी ने कहा कि मैं यह काम तो कर दूंगा लेकिन मेरी भी एक शर्त है. शर्त ये है कि आप भी लगातार बोलते रहेंगे, कही पर भी मेरा हाथ रुकने का मौका नहीं आना चाहिेए. तब ब्यास जी ने कहा कि उन्हें ये प्रस्ताव मंजूर है लेकि उनकी भी एक शर्त है वो जो कुछ भी बोलेंगे लिखने से पहले उसे गणेश जी समझेंगे फिर लिखेंगे. गणेज जी इस पर राजी हो गए.



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ये तो एक छोटी-सी कथा है लेकिन इसका सार बहुत गंभीर हैं. अगर आपने इस सार को समझ लिया तो आपके लिखने की टेंशन बिल्कुल खत्म हो जाएगी. मेंस हो या फिर कोई भी परीक्षा आप दूसरों से ज्यादा नंबर पाएंगे. ये कथा दिमाग और हाथ के बीच कैसा सामंजस्य होना चाहिए उसका सबसे अच्छा उदाहरण है. ब्यास जी का संबंध हमारे विचारों से है और गणेश जी का संबंध हाथ से.


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ये बात गांठ बांध लीजिए की सफलता का रास्ता कलम से होकर जाता है. आपकी कलम पर जितनी अच्छी कमांड होगी सफलता उतनी जल्दी आपके कदमों पर होगी. इसलिए हमें यह अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि सीखने और याद रखने के लिए (Learning & Remembering) लिखकर देखना बहुत जरुरी है. कहा भी गया है...
करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान ।
रसरी आवत-ताज के, सिल पर परत निशान ।।

कहने का मतलब ये है कि धीरे-धीरे अभ्यास के जरिए हाथ और दिमाग के बीच अच्छा सामंजस्य स्थापित हो जाता है. इसलिए दो-तीन रिविजन होने के बाद जो कुछ भी पढ़ा है उसे लिखकर देखना चाहिए. लिख कर देखने के कई फायदे हैं... सलेक्शन के लिए कैसे बनाएं नोट्स...click here

हाथ और दिमाग के बीच तालमेल बनता है. अर्थात विचार सही मात्रा में और व्यवस्थित होकर आते हैं, ताकि आप उसे सही-सही और पूरा-पूरा लिख सकें.
आपको ये पता चल जाता है कि आपने अभी तक जो पढ़ा है उसमें से कितना भाग आपको याद है जिसे आप सही-सही लिख सकते हैं.

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  • लिखने से आपकी नॉलेज दिन-ब-दिन बढ़ती है और आपका कांफिडेंस काफी ऊपर होता है.
  • लेखन अभ्यास बढ़ने से आप परीक्षा में तेजी से लिखते हैं और दूसरों से काफी आगे निकल जाते हैं.



एक बाद हमेशा याद रखिए कि लिखने के दौरान आपकी स्पेलिंग मिस्टेक ना हो क्योंकि स्पेलिंग मिस्टेक आपकी सफलता में सबसे बड़ी बाधा बन सकती है. देखा भी गया है कि 10 बार मेंस देनेवाले छात्र सफल नहीं हो पाते हैं और पहली ही बार में सही रणनीति और बिना स्पेलिंग मिस्टेक किए परीक्षा देने वाला छात्र सफल हो जाता है. इन दोनों छात्रों के बीच अंदर देखेंगे तो आप खुद पाएंगे कि नॉलेज के स्तर पर भले ही नया छात्र पुराने से कमतर हो लेकिन उसकी लेखन शैली धारदार और स्पेलिंग मिस्टेक बिल्कुल नहीं होती है. मेंस देने वाले छात्र इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं. 


NOTE:-स्पेलिंग मिस्टेक कैसे दूर करें, इस पर जल्द एक लेख प्रकाशित करेंगे. पढ़ते रहिए www.bookmynotes.com

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