भारत की आजादी से पहले पश्चिम बंगाल, बंगाल प्रांत का हिस्सा था। ये भारत का सबसे समृद्ध प्रांत था। आजादी के बाद इसे पश्चिम बंगाल नाम दिया गया। कोलकाता इसकी राजधानी है। कोलकाता पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा शहर है। आइए आपको संक्षिप्त में बताते हैं कि क्या है पश्चिम बंगाल का इतिहास? कैसे बंगाल से अलग होकर बना पश्चिम बंगाल?
सिकंदर के समय गंगारिदरी साम्राज्य
सिकंदर के आक्रमण के समय बंगाल में गंगारिदयी नाम का साम्राज्य था। गुप्त तथा मौर्य सम्राटों का बंगाल पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। बाद में शशांक बंगाल नरेश बना। कहा जाता है कि उसने सातवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में उत्तर-पूर्वी भारत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसके बाद गोपाल ने सत्ता संभाली और पाल राजवंश की स्थापना की।
बंगाल में पाल और सेन राजवंश का साम्राज्यपालों ने विशाल साम्राज्य खड़ा किया और चार शताब्दियों तक राज्य किया। पाल राजाओं के बाद बंगाल पर सेन राजवंश का अधिकार हुआ, जिसे दिल्ली के मुस्लिम शासकों ने परास्त किया।
बंगाल पर मुगल शासकों का राज
सोलहवीं शताब्दी में मुगलकाल के प्रारंभ से पहले बंगाल पर अनेक मुसलमान राजाओं और सुल्तानों ने शासन किया। इख़्तियारुद्दीन मुहम्मद बंगाल का पहला मुसलमान विजेता था।
मुगलों के बाद यूरोपीय कंपनियों का कब्जा
मुगलों के पश्चात् आधुनिक बंगाल का इतिहास यूरोपीय तथा अंग्रेजी व्यापारिक कंपनियों के आगमन से आरंभ होता है।
प्लासी के युद्ध ने बदला भारत का इतिहास
सन् 1757 में प्लासी के युद्ध ने इतिहास की धारा को मोड़ दिया जब अंग्रेजों ने पहले-पहल बंगाल और भारत में अपने पांव जमाए।
1905 में बंगाल का पहला विभाजन
सन् 1905 में राजनीतिक लाभ के लिए अंग्रेजों ने बंगाल का पहला विभाजन कर दिया लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व में लोगों के बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए 1911 में बंगाल को फिर से एक कर दिया गया। इससे स्वतंत्रता आंदोलन की ज्वाला और तेजी से भड़क उठी, जिसका पटाक्षेप 1947 में देश की आजादी और विभाजन के साथ हुआ।
1947 में जब भारत का बंटवारा हुआ तो बंगाल का एक बार फिर विभाजन हुआ। भारतीय हिस्से वाला भाग पश्चिम बंगाल बना, क्योंकि ये बंगाल का पश्चिमी भाग था। जबकि बंगाल का पूर्वी भाग पूर्वी पाकिस्तान बना। क्योंकि ये पाकिस्तान के पूर्व में स्थित था।
कैसे बना पश्चिम बंगाल?
1947 के बाद देशी रियासतों के विलय का काम शुरू हुआ और राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की सिफारिशों के अनुसार पड़ोसी राज्यों के कुछ बांग्लाभाषी क्षेत्रों को भी पश्चिम बंगाल में मिला दिया गया। और इस तरह से वर्तमान पश्चिम बंगाल की स्थापना हुई।
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