Friday, 2 February 2018

कलेक्टर बनना है तो ये लेख जरूर पढ़ें, यकीन मानिए जिंदगी बदल जाएगी

ज्ञान+प्रेरणा=सफलता। दुनिया में कामयाब होेने का इससे सफलतम कोई फॉर्मूला नहीं है। अगर आप दुनिया में कुछ भी हासिल करना चाहते हैं तो सबसे जरूरी है ज्ञान। क्योंकि ज्ञान के बिना आप कुछ नहीं कर सकते हैं। और दूसरा है प्रेरणा। बिना प्रेरणा के भी आप लाख ज्ञानी होते हुए भी कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे। अगर आप IAS बनना चाहते हैं तो नीचे Shiva Thakur Shiva‎ जी का ये लेख जरूर पढ़ लें यकीन मानिए इसे पढ़ने के बाद अापके भीतर ऊर्जा का ऐसा संचार होगा कि आप सबकुछ भूलकर सिर्फ IAS की तैयारी के बारे में सोचने लगेंगे।

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Shiva Thakur Shiva‎ सर का लेख जैसा उन्होंने फेसबुक पर लिखा हू-ब-हू पढ़िए।
पसंद आए तो शेयर जरूर करें।
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 - - #पढाई में जब मन ना लगे जनाब तो उस #माँ - बाप का चेहरा याद कर लिया करो जो #सारे मोहल्ले में गर्व से कहते हैं - मेरा बेटा #कलेक्टर बनेगा - - - #आज फ़िर कहता हूँ दोस्तों - -#I.a.s - - - - - - तुम्हारी सबसे #बड़ी चाहत , तुम्हारी असली खुशी , तुम्हारी जिंदगी , तुम्हारा संसार तुम्हारे माँ - बाप हैं वो तुम्हारा पहला प्यार हैं तुम उनसे #बेवफ़ाई कैसे कर सकते हो - स्मरण रहे जो पहले प्यार के प्रति वफादार हैं वो ही दूसरे प्यार के असली हकदार हैं - दोस्तों - तुम्हारी आँखो को जिसने सपने दिखाये , तुम्हारी #हर बड़ी मुसीबत के वक्त तुम्हारे #सर पर उनका हाथ रहा - जिसकी उँगली पकड़कर तुमने चलना सीखा और जिन आँखो ने ये ख्वाब देखा की मेरा #बच्चा एक दिन मेरा नाम रोशन करेगा , जो मैं नही कर सका वो मेरी बेटी करेगी वो मेरा बेटा करेगा वो आज तक तेरे चेहरे को देखकर अपने सारे ग़म भुलाते आये हैं - उन्हे तुम पर #भरोसा हैं तब बताओ मुझे तुम क्यों नही अपने ख्वाबों को साकार करने के लिये कोई क़दम आगे बढ़ा रहे हो ? आखिर क्यों #खामोश बैठे हो ? क्यों नही मेहनत करना चाहते हो ? क्या यही तुम्हारा प्यार हैं ? क्या यही तुम्हारा कर्तव्य हैं ? अरे #जनाब जब पढाई में मन ना लगे तो उस बाप का चेहरा याद कर लिया करो जो सारे मोहल्ले में #छाती पीटते फिरते हैं - अरे मेरा बेटा तो कलेक्टर ही बनेगा मुझे उस पर भरोसा हैं वो #कभी मेरा सर नीचा नही करेगा - याद करो उस #माँ को जो ना जाने कितने कष्ट सहन करती हैं और इसका तुम्हे वो एहसास तक नही होने देती हैं ताकि तुम दुखी ना हो - अपना #पेट काट - काट कर तुमको पढाया - लिखाया . और आज इस काबिल बनाया की तुम जो चाहो वो प्राप्त कर सको - फ़िर भी ये #चुप्पी क्यों साध रखी हैं ? आखिर क्यों #भूल जाते हो तुम की उन्होने हमारी खुशियों के लिये उन्होने अपनी #सारी खुशियाँ त्याग दी - सिर्फ इसलिये की चलो मेरी #जिंदगी जैसे #कटी ठीक हैं लेकिन मेरे बच्चो को कोई कष्ट ना हो किसी चीज़ की कमी ना हो जाय तो अब बोलो #तुम सब अब अपनी क्या जिम्मेदारी बनती हैं ? बस अब बहूत हुवा अब समय आ गया हैं तपस्या का , #मेहनतका , #त्याग का , कूछ कर गुजरने का और अपने ख्वाबों को पूरा करने का - अब अपने माँ - बाप के होठों पर मुस्कान लाने की , तो उठाओ अब #किताबों को और लगा दो अपनी जान पढ़ डालो इतिहास , #भूगोल , संविधान , विज्ञान सब कूछ

Wednesday, 31 January 2018

जीन अभियांत्रिकी क्या है? इस टॉपिक से कैसे बनते हैं सवाल?

जीन अभियांत्रिकी (अनुवांशिकी अभियांत्रिकी)

जब किसी जीव के जीन में कृत्रिम परिवर्तन कर उसी के अनुरूप उसके लक्षण में परिवर्तन किया जाता है तो यह प्रयोगशाला तकनीक जीन अभियांत्रिकी कहलाती है. इस तकनीकी में D.N.A या जीन को काटने के लिए रेस्ट्रिक्शनएन्जाइम तथा जीन को जोड़ने के लिए लाइगोज एन्जाइम प्रयुक्त किये जाते हैं.

Question:-

आज-कल मधुमेह रोगियों के लिए इन्सुलिन का इंजेक्शन प्राप्त किया जाता है-
(A) गाय से
(B) चूहा से
(C) सूअर से
(D) बैक्टीरिया से
ANSWER-बैक्टीरिया से

Important Fact for EXAM:-

इंसुलिन का उपरोक्त उत्पादन ट्रांसजेनिक तकनीकी की सहायता से कोलीफार्म बैक्टीरिया द्वारा किया जाता है. इस व्यापारिक इंसुलिन को ह्यूमुलिन (Humulin) की संज्ञा दी गई है. इसी प्रकार आजकल ट्रांसजेनिक तकनीकी की सहायता से-
v  ट्रांसजनिक पशु व फसलों का विकास किया जाता है.
v  फसलों को कीटरोधी (उदाहरण-बी.टी कॉटन) तथा प्रतिकूल वातावरण रोधी बनाया जाता है.
v  खाद्य-टीका का उत्पादन किया जाता है.
v  अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए ट्रांसजेनिक बैक्टिरिया Bugs तथा  Super Bugs क्रमशः प्लास्टिक पेट्रोलियम जैसे रसायनों को विघटित करने में समर्थ होते हैं.
v  जैव विघटनशील प्लास्टिक का उत्पादन किया गया है जिसे बायोपोल की संज्ञा दी गई है.
v  मकड़ियों द्वारा जाले के निर्माण में श्रावित पदार्थ को ट्रांसजेनिक तकनीक से अतिकठोरता प्रदान करने का परीक्षण किया गया है जिसे बायोस्टील की संज्ञा दी गई है.
v  जैव ऊर्वरक या बायो फर्टिलाइजर, जैव पीड़कनाशी, जैव कीटकनाशी इत्यादि का उत्पादन किया जाता है.

जैव उर्वरक (Bio Fertilizer)
जीव कोशिकाओं से प्राप्त ऐसे जैव रसायन जो भूमि की उर्ववरता को बढ़वा देते हैं जैव उर्वरक कहलाते हैं. ये उर्ववरक अपेक्षाकृत सस्ते तथा तीव्र होते हैं और यह पर्यावरण में प्रदूषण पैदा नहीं करते हैं. जैसे-
Ø  अनेक प्रकार के बैक्टिरिया-नाइट्रोसोमोनस, एजोटो बैक्टर, नाइट्रोबेक्टर, राइजोबियम (दलहनी फसलों की जड़ों में)
Ø  थियोबेसीलम की कुछ प्रजातियां (सल्फेटी उर्वरक)
Ø  क्लास्ट्रीयिम की कुछ प्रजातियां तथा अन्य
Ø  नाइट्रिकारी बैक्टिरिया.
ü  थियोबेसीलस डिनाइट्रीफिकेंस मृदा की नाइट्राइट एवं नाइट्रेट को स्वतंत्र नाइट्रोजन में मुक्त कर भूमि की उर्वरता को कम करता है.
ü  नील----हरित शैवाल---नोस्टोक और एनाबिना
ü  माइक्रोराइजल कवक (फास्फेटी उर्वरक)
ü  एजोला नामक फर्न
ü अल्फा-अल्फा, नीम, सनई

जैव-पीड़क नाशीः-
ऐसे जैव रसायन जो खर-पतवार या अपतृण (Weeds) तथा कीटों को नष्ट करते हैं जैव-पीड़कनाशी कहलाते हैं. इसके अंतर्गतः-

1-जैव-अपतृणनाशीः-
ऐसे जैव-पीड़कनाशी जो फसलों के लिए हानिकारक खर-पतवार को नष्ट करते हैं जैव-अपतृणनाशी कहलाते हैं. उदाहरण-कवकों (Fungi) से प्राप्त किये गये कोलेगो, वेल्गो, लुबोआ-लुबोआ, डिवाइन ABC-5003, इत्यादि प्रमुख है.

2-जैव-कीटनाशी-
ऐसे जैव पीड़कनाशी जो मनुष्य तथा फसलें दोनों के लिए हानिकारक कीटों को नष्ट करती है जैव कीटनाशी कहलाती है. जैसे-एजैडिरैचिटिन (नीम के मार्गोसीन रसायन से), पाइरेथ्रिन, सिनेरिन, थुरियोसाइट्स, इत्यादि.

Important Fact for EXAM:-

थुरियोसाइट्सः-
थुरियोसाइट्स नामक जैव कीटनाशी, Bacillus Thuringia sis नामक बैक्टिरिया के B.T जीन के नियंत्रण में संश्लेणित होता है. अमेरिकी कंपनी मोनेसेंटो द्वारा इस B.T जीन को टर्मिनेटर जीन तकनीकी के अंतर्गत कपास की ऐसी फसल में अंतर्विष्ट कराया गया है जो कीटरोधी होने के कारण अधिक पैदावार देने में सफल हुई है, परंतु इस फसल से उत्पन्न बीजों में अगली पीढ़ि के लिए सफल ढंग से अंकुरण की क्षमता समाप्त हो गई. अर्थात ये बीज यदि अंकुरित हो भी सकते हैं, परंतु इसमें पुष्प, फल, बीज इत्यादि का विकास नहीं होगा. आजकल यह तकनीकी अन्य फसलों में भी अपनायी जाती है. वर्मिनेटर जीन तकनीकी टर्मिनेटर जीन तकनीकी के समान है, परंतु वर्मिनेटर बीजों में अगली एक पीढ़ि के लिए अंकुरण की क्षमता पायी जाती है.


Sunday, 21 January 2018

IAS बनना है तो GS, GK और Current Affairs का फर्क समझिए?

दोस्तों IAS EXAM के लिए हमने एक नई सीरिज शुरू की है। इस सीरिज में हम आपको IAS की तैयारी के लिए ऐसे-ऐसे Tips देंगे जो आपको और कही नहीं मिलेगा। क्योंकि इसमें बेसिक्स के साथ-साथ Advance लेवल तक की तैयारी की रणनीति बताई जाएगी। अगर आप चाहते हैं कि आपको ऐसी टिप्स लगातार मिलती रहे तो आपको दो काम करना होगा। पहला आप अपनी स्क्रीन के राइट साइट पर नीचे दिख रहे बेल आइकन को टच करके इसे अलॉउ कर दें और दूसरा नीचे हमारे फेसबुक पेज का लिंक दिया गया है उसे लाइक कर दें। इससे फायदा ये होगा कि जब भी नए लेख आएंगे आपको फौरन सूचना मिल जाएगी।
आज हम आपको बता रहें हैं कि IAS की प्रारंभिक परीक्षा के लिए आप कैसे शुरूआत करें? जिसके लिए जरूरी है की आपकी कुछ भ्रांतियों को दूर किया जाए। तो सबसे पहले पहली भ्राांति  को दूर कर लीजिए।
प्रारंभिक परीक्षा- कम समय में कैसे बनाएं रणनीति?
IAS की प्रारंभिक परीक्षा में दो प्रश्न पत्र होते हैं। पहला सामान्य अध्ययन का और दूसरा CSAT का। जहां तक सामान्य अध्ययन के प्रथम प्रश्न पत्र का सवाल है इसमें तीन टाइप के प्रश्न पूछे जाते हैं।
1-सामान्य अध्ययन यानी Gernal Studies (G.S)
2-सामान्य ज्ञान यानी Gernal Knowledge (G.K)
3-समसामयिक (Current Affairs)
नए छात्रों के सामने सबसे बड़ी कठिनाई ये होती है कि उन्हें पता ही नहीं होता है कि GS और GK में फर्क क्या होता है? दोनों में आपको अंतर समझाएं इससे पहले ये जान लीजिए की IAS की परीक्षा में G.K से ना के बराबर सवाल आते हैं। जबकि PCS, SSC, BANK, RAILWAY जैसी परीक्षाओं में G.K से जुड़े सवाल खूब आते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि दोनों में भला अंतर क्या है? जब तक आप ये अंतर नहीं समझेंगे IAS की तैयारी नहीं कर पाएंगे। इसलिए जरूरी है कि पहले आप इसमें फर्क करना सीखें।
G.S का सीधा सा मतलब है General Studies यानी हर उस विषय का सामन्य अध्ययन जिसकी जरूरत समाज में एक अधिकारी या कर्मचारी के तौर पर आपको पड़ सकती है। जहां तक General Studies में आनेवाले विषयों का सवाल है इसमें।
  • भारत का इतिहास और फ्रीडम स्ट्रगल मूवमेंट
  • भारतीय संविधान और राज्यव्यवस्था
  • भारत और विश्व का भूगोल
  • पर्यावरण, पारिस्थितिकी और जैव विविधता
  • अर्थव्यवस्था और सांख्यिकी
  • सामान्य विज्ञान और प्रद्योगिकी
  • सामाजिक विकास और प्रशासन 
जैसे टॉपिक आते है। जबकि General Knowledge यानी G.K में सामान्य ज्ञान से जुड़े। अब सवाल ये है कि सामन्य ज्ञान क्या होता है? सामान्य ज्ञान का मतलब ऐसे टॉपिक्स से है जिससे जुड़े सवालों के जवाब एक सामान्य या कह लें आम आदमी को भी आना चाहिए। कहने का आशय ये है कि सामान्य ज्ञान एक सामान्य आदमी से जुड़ा ज्ञान हैं। जैसे,
  • सड़क पर गाड़ी चलाने के नियम क्या हैं?
  • भारत का राष्ट्रीय खेल क्या है?
  • राष्ट्रीय पक्षी मोर है तो क्यों है?
  • तिरंगा में कितने रंग होते हैं और कौन-सा रंग किसका प्रतीक है?
  • भारत का संविधान कब बना?
  • भारत की राजधानी क्या है?
  • भारत में कुल कितने प्रदेश हैं? कितने केंद्र शासित प्रदेश हैं?
यानी ऐसे प्रश्न जिसके बारे में आपको बचपन में ही पढ़ाया गया होगा। जहां तक करेंट अफेयर्स का सवाल है इसमें रोज-रोज की घटनाओं से जुड़े ऐसे टॉपिक होते हैं जिसका असर सामाज, देश-दुनिया और देश की सियासत और प्रशासन पर पड़ता है।
IAS की तैयारी की अगली कड़ी जल्द....
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Wednesday, 10 January 2018

60 दिन में समीक्षा अधिकारी कैसे बनें? How to Crack RO/ARO Exam in 60 Days

8 अप्रैल 2018 को समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी RO/ARO 2018 की प्रारंभिक परीक्षा है। यानी अब आपके पास मोटे तौर पर  2 महीने यानी 60 दिन बचे हैं। सही मायने में समीक्षा अधिकारी जैसी परीक्षा के लिए 60 दिन बहुत हैं, बस अगर आप सही रणनीति से तैयारी करें तब। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि 60 दिन में आप कैसे समीक्षा अधिकारी बन सकते हैं? How to become Review Officer in only 60 Days.

समीक्षा अधिकारी परीक्षा की सबसे बड़ी खूबी ये है कि इस परीक्षा में इंटरव्यू नहीं होता है। यानी अगर प्रारंभिक परीक्षा पास करने के बाद आपने मुख्य परीक्षा पास कर ली तो आप गैजेटेड अधिकारी बन गए। लेकिन आज हम आपको मुख्य परीक्षा नहीं बल्कि प्रारंभिक परीक्षा को पास करने की Trick बता रहे हैं।
UP Review Office Pre Exam Syllabus 2017-18
समीक्षा अधिकारी की प्री परीक्षा 200 अंकों की होती है। इसमें ऑप्शनल सवाल आते हैं। मतलब आपसे एक सवाल पूछा जाएगा जिसके बदले में आपको चार विकल्प दिए जाएंगे। आपको इन चार विकल्पों में से किसी एक को चुनना होगा। अगर आपने उत्तर सही दिया तो आपको 1 अंक मिलेंगे और अगर गलत किया तो तीन प्रश्न गलत करने पर 3+1 यानी कुल 4 अंक कट जाएंगे। कहने का आशय निगेटिव मार्किंग है इसलिए तुक्के से काम नहीं चलेगा।

समीक्षा अधिकारी की प्रारंभिक परीक्षा दो शिफ्ट होगी। दोनों शिफ्ट में अलग-अलग दो पेपर होंगे।

1- पहला पेपर सामान्य अध्ययन का होगा। इसमें कुल 140 प्रश्न पूछे जाएंगे जिसका अंक भी 140 होगा। यानी एक सवाल सही करने पर आपको 1 अंक मिलेंगे।
2- दूसरा पेपर सामान्य हिन्दी का होगा। इस प्रश्न में सिर्फ 60 प्रश्न आएंगे और दूसरे पेपर का अंक भी 60 होगा।

तो अगर आप 60 दिन में  समीक्षा अधिकारी की परीक्षा पास करना चाहते हैं तो आप सबसे पहले उपर दिए सलेबस को ध्यान से देखिए। सलैबस देखने में भले ही छोटा है लेकिन जितना छोटा आप इसे समझ रहे हैं ये उतना छोटा नहीं है। इसे आप मिनी पीसीएस सलैबस कह सकते हैं। यानी ये परीक्षा PCS परीक्षा से जरा भी कम नहीं है। लेकिन डरने की बात इसलिए नहीं है क्योंकि इसके सावालों का स्तर पीसीएस के काफी नीचे होता है।

सलैबस देखने बाद आपको सलाह दी जाती है कि आप पिछले 10 सालों का अनसॉल्व पेपर ले आइए। इसके बाद आप सैलेबस का गंभीरता पूर्वक अध्ययन कीजिए। फिर आप पुराने अनसॉल्व को एक बार सरसरी तौर पर देख लीजिए। इसके बाद आपको खुद-ब-खुद समझ में आ जाएगा कि आपको क्या पढ़ना है और क्या छोड़ना है?

जहां तक किताब का सवाल है तो 60 दिन में आप बहुत ज्यादा फालतू पढ़ने से बचिए। 60 दिन के लिए सलाह ये है कि आप-

1-लूसेंट समान्य ज्ञान (इतिहास, भूगोल, विज्ञान, पॉलिटी, पर्यावरण, खेल-कूद)
2-10 साल का पुराना अनसॉल्व्ड
3-करेंट अफेयर्स के लिए कोई एक वार्षिकी
4-हिन्दी के लिए घटना चक्र प्रकाशन की समीक्षा अधिकारी के लिए किताब
5-जनसंख्या के लिए वाणी प्रकाशन की किताब
6-किसी भी प्रकाशन का प्रैक्टिस सेट

फिलहाल तो आप 60 दिन में इतना पढ़ने का टॉरगेट रखें। लूसेंट को तो घोट कर पी जाएं। यकीन मानिए आप समीक्षा अधिकारी की प्रारंभिक परीक्षा जरूर पास कर जाएंगे। इसके साथ ही खुद पर और अपनी पढ़ाई पर भरोसा रखें। दूसरों के बहकावों में मत आएं, अपनी अक्ल लगाएं। ज्यादा पढ़ेंगे तो सलेक्सन के चांजेंस कम हो जाएगा क्योंकि 60 दिनों में पढ़ने से ज्यादा दोहराने की प्रैक्टिस करें।

IAS के पैटर्न पर होगी PCS की परीक्षा, बदलाव से फायदा है या नुकसान-विश्लेषण

IAS के पैटर्न पर होगी UPPCS 2018 की परीक्षा। परीक्षा के पैटर्न में तीन बड़े  बदलाव किए जा सकते हैं। प्रारंभिक परीक्षा में कोई बड़े बदलाव के संकेत नहीं हैं, लेकिन निगेटव मार्किंग लागू होगी। मुख्य परीक्षा में आमूलचूल परिवर्तन होने की खबर है। मुख्य परीक्षा करीब-करीब IAS एक्जाम के पैटर्न पर ही होगी। यानी अब आपको IAS और PCS की परीक्षा के लिए अलग-अलग तैयारी करने की जरूरी नहीं पड़ेगी। उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग ने पहले ही UPPCS 2018 प्रारंभिक परीक्षा की तारीख 24 जून 2018 घोषित कर रखी है।

UP PCS परीक्षा में क्या-क्या हो सकते हैं अहम बदलाव?

(A) प्रारंभिक परीक्षा में बदलाव:-

(i) प्रारंभिक परीक्षा में सबसे बड़ा बदलाव ये होगा कि अब IAS की तरह पीसीएस में भी निगेटिव मार्किंग होगी। यानी एक सवाल गलत करने पर आपके 0.33 (1/3) नंबर काट लिए जाएंगे। इससे साफ है कि प्रारंभिक परीक्षा की मेरिट अब कम जाएगी। तुक्केबाज़ों के दिन अब लद जाएंगे। सिर्फ वही छात्र प्रारंभिक परीक्षा पास कर पाएगा जो सीरियस होकर पढ़ाई करेंगे। 
निगेटिव मार्किंग का एक फ़ायदा ये भी होगा कि नकलबाजों पर खुद ही लागाम लग जाएगी क्योंकि नकल के दौरान अभी तो लोग ये सोचकर दूसरे की बात मान लेते थे कि चलो सवाल गलत तो हो रही रहा है अगर नकल से एक दो सवाल ठीक हो गए तो सफल होने के चांसेज बढ़ जाएंगे। लेकिन अब अगर नकल करेंगे तो नुकसान हो सकता है। क्योंकि नकल करानेवाला छात्र जानबूझकर आपके सवाल गलत करवा सकता क्योंकि निगेटिव मार्किंग से आपके नंबर कम हो जाएंगे। 

(ii) निगेटिव मार्किंग के अलावा प्रारंभिक परीक्षा में कुछ भी बदलाव नहीं होंगे क्योंकि प्रारंभिक परीक्षा पहले से ही IAS की तर्ज पर हो रही है। प्रारंभिक परीक्षा में मेरिट का मुख्य आधार प्रथम प्रश्न पत्र यानी सामान्य अध्ययन ही होगा। CSAT  का दूसरा पेपर अभी भी क्वालीफाइंग ही रहेगा। यानी आपको सिर्फ इस पेपर में पासिंग नंबर ही प्राप्त करने होंगे। लेकिन यहां भी निगेटिंव मार्किंग होगी इसलिए बिना पढ़े जाएंगे तो मेरिट से बाहर होने के चांंसेज पहले 50 गुना बढ़ जाएंगे। तो होशियार रहें। और CSAT पर भी ध्यान देते रहें।

(B) मुख्य परीक्षा में बदलाव:-

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग PCS 2018 की मुख्य परीक्षा में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। सही मायने में अब मुख्य परीक्षा IAS के पैटर्न पर ही होगी। आइए आपको बिन्दुवार समझाते हैं कि मुख्य परीक्षा में क्या-क्या बदलाव होंगे? और ये बदलाव आपके लिए फायदेमंद है या नुकसानदेह।

(i)- मुख्य परीक्षा में 2 की जगह 1 विषय होंगे:-
अभी तक PCS की मुख्य परीक्षा में दो वैकल्पिक विषय होते थे। इसको लेकर प्रतियोगी छात्रों की शिकायत ये थी कि स्केलिंग में इससे कुछ छात्रों को फ़ायदा होता है तो कुछ को नुकसान। कुछ विषय में अच्छे नंबर मिलते हैं तो कुछ में औसत। इसी वजह से विज्ञान और बीटेक के छात्र भी अपने विषय बदल लेते थे और अच्छे नंबर पाकर सलेक्शन पा जाते थे। लेकिन अब जब मुख्य विषय में एक ही विषय होगा तो स्केलिंग का बहुत ज्यादा फायदा या नुकसान किसी छात्र को नहीं होगा। हालाकि एक विषय में भी स्केलिंग पद्धति लागू रहेगी।

(ii)-सामान्य अध्ययन के 2 पेपर की जगह होंगे 4 पेपर:-
IAS की तरह ही PCS में भी अब सामान्य अध्ययन के चार पेपर होंगे। आयोग इसका सलेबस PCS Notification 2018 के साथ ही जारी करेगा। लेकिन माना जा रहा है कि सैलेबस भी IAS के पैटर्न पर ही होगा।  

(iii)- सामान्य अध्ययन के चारों पेपर होंगे डिस्क्रेप्टिव (सब्जेक्टिव):-
यानी अब आपको सवालों के उत्तर लिखने होंगे। जबकि अभी तक मुख्य  परीक्षा में भी सामन्य अध्ययन के दो पेपर ऑब्जेक्टिव होते थे। जिसमें आपको प्रारंभिक परीक्षा की तरह चार में एक सही उत्तर चुनना होता था।

सब्जेक्टिव होने का फ़ायदा सीरियस छात्रों को मिलेगा और नकल करके मेरिट में आऩेवाले छात्रों को नुकसान होगा। हालाकि इसके लिए आयोग को भी कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। उसे अच्छे विशेषज्ञों को चुनना होगा जो ना सिर्फ स्तरीय पेपर बनाए बल्कि तेजी से कॉपी भी चेक करें। क्योंकि आयोग पहले भी मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन का पेपर सब्जेक्टिव लेता रहा है लेकिन कॉपी चेक करने में लेटलटीफी के चलते ही उसे मुख्य परीक्षा में सामान्य अध्ययन का पेपर ऑब्जेक्टिव करना पड़ा था, ताकि कॉपी OMR शीट की वजह से जल्दी चेक हो जाए और लेट सेशन सही हो जाए।

(iv) इंटरव्यू 200 की जगह सिर्फ 100 नंबर का ही होगा:-

उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग पर ये आरोप लगता रहा है कि पीसीएस इंटरव्यू में पैसे चलते हैं। अखिलेश सरकार में ये आरोप एक जाति विशेष को लेकर लगने लगे थे कि इंटरव्यू में उन्हें जानबूझकर ज्यादा नंबर दिए गए ताकि अगर मुख्य परीक्षा में कम नंबर भी हो तो इंटरव्यू के नंबर के आधार पर सेलेक्शन हो जाए। इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने इंटरव्यू को 200 की जगह अब 100 नंबरों का करने का फैसला किया है। इसका फायदा सीधे तौर उन छात्रों को मिलेगा जो टैलेंटेड हैं और मुख्य परीक्षा में अच्छे नंबर पाने के बावजूद इंटरव्यू में बेईमानी के शिकार हो जाते थे। 

(v) निबंध और सामान्य हिन्दी के प्रश्न-पत्र में कोई बदलाव नहीं:-
निबंध और सामान्य अध्ययन के पेपर में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। वो पहले की तरह ही होंगे और मेरिट में इसके नंबर जुड़ेंगे।

तो अब आप समझ गए होंगे कि नया पैटर्न आपके लिए फायदेमंद या नुकसानदेह। निश्चिततौर नए छात्रों के लिए ये पैर्टन फायदेमंद है और पुराने छात्रों के लिए पैटर्न नुकसाानदेह क्योंकि उन्हें एक नए सिरे से मुख्य परीक्षा की तैयारी करनी होगी क्योंकि पुराने छात्रों में से ज्यादातर ऐसे हैं जिनकी IAS की उम्र निकल चुकी है।

Tuesday, 9 January 2018

प्रतियोगिता दर्पण जनवरी से दिसंबर 2017 तक की PDF में डाउनलोड करें

NOTE:-अगर आप सरकारी नौकरी से जुड़ी जानकारी से लागातर अपडेट होना चाहते हैं तो नीचे की ओर दिख रहे बेल आईकन को क्लिक कर इसे अलॉउ कर दें। इसके बाद आपको स्टडी मैटेरियल और तैयारी से जुड़े टिप्स अपने आप मिलते रहेंगे। जैसे ही कुछ नया होगा आपको अपने आप सूचना मिल जाएगी।

प्रतियोगी छात्रों के बीच प्रतियोगिता दर्पण मैग्जिन सबसे लोकप्रिय है। सालों नहीं बल्कि दशकों से ये मैग्जिन कंपटिशन की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए तैयारी का बड़ा माध्यम रही है। इस मैग्जिन की सबसे बड़ी खासियत ये है कि एक मैग्जिन में आपको तकरीबन सभी प्रतियोगी परीक्षा से जुड़े स्टडी मैटेरियल मिल जाते हैं।


प्रतियोगी परीक्षा में सफल कैंडिडेट्स का मानना है कि अगर आप पिछले एक साल की प्रतियोगिता दर्पण का गंभीरता पूर्वक अध्ययन  कर लें और अपने खुद के नोट्स बना लें तो प्रतियोगी परीक्षा में करेंट अफेयर्स से जुड़े 95 फीसदी सवाल हल कर सकते हैं। निश्चिततौर पर अगर ये मैग्जिन इतनी महत्वपूर्ण है तो आपके पास इसका सालभर का कलेक्शन होना चाहिए। हमारी सलाह तो ये है कि आप इस मैग्जिन को हर महीने जरूर खरीदें। अगर अकेले खरीदने की क्षमता नहीं तो फिर दो तीन छात्र मिलकर खरीदें और इससे अपना नोट्स बना लें।

लेकिन अगर आपको लग रहा है कि अाप लेट हो गए हैं और आपके पास पुराना कलेक्शन नहीं है तो आप नीचे दिए Link से पिछले साल भर की मैग्जीन (जनवरी 2017 से दिसंबर 2017) तक डाउनलोड कर सकते हैं। और इससे अपना नोट्स बनाकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं। लेकिन एक बार हम फिर सलाह देंगे कि हो सके तो अगर आप इसकी हार्ड कॉपी ही खरीदें। क्योंकि हार्ड कॉपी से ना सिर्फ पढ़ने में सहुलियत होती है बल्कि प्रकाशक भी उसकी लागत मिल जाती है। वर्ना कोई समाज सेवा करने के लिए थोड़े ही मैग्जीन निकाल रहा है।
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जनवरी 2017 की प्रतियोगिता दर्पण PDF फॉर्मेट में Download करने के लिए यहां पर CLICK करें।
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जुलाई 2017 की प्रतियोगिता दर्पण PDF फॉर्मेट में Download करने के लिए यहां पर CLICK करें।
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Disclaimer:-
प्रस्तुत प्रतियोगिता दर्पण मैग्जिन का PDF लिंक www.bookmynotes.com ने तैयार नहीं किया है। ये Link इंटरनेट पर जगह-जगह उपलब्ध है जिसे सिर्फ एक जगह एकत्रित कर छात्रों की मदद के लिए एक मंच पर पेश किया गया है। अगर किसी को इस पर आपत्ति है तो वो [email protected] पर मेल कर आपत्ति दर्ज कर सकता है। सही आपत्ति होने पर साइट से इस Link को हटा दिया जाएगा।
धन्यवाद
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Monday, 8 January 2018

RO/ARO EXAM 2018 की आ गई वेकेंसी, 30 जनवरी से पहले करें Apply

इंताजर खत्म आ गई है समीक्षा आधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी- 2018 (RO ARO Vacancy 2018) की बंपर वेकेंसी। 465 पदों के लिए 25 जनवरी 2018 से पहले करें अप्लाई। अगर आप ग्रेजुएट हैं तो आपके लिए इससे अच्छा मौका हो ही नहीं सकता। जैसा की आप जानते हैं कि UPPCS हर साल RO ARO पदों के लिए परीक्षा लेता है। लेकिन पिछले साल ये वेकेंसी नहीं आ पाई थी। इस वेकेंसी का छात्र काफी दिनों से इंतजार कर रहे थे। इस बार की परीक्षा की सबसे खास बात ये होगी कि प्रारंभिक परीक्षा में निगेटिव मार्किंग होगी। यानी की तुक्का मारने वालों और नकल करनेवालों के दिन अब लद गए। तो अगर आप सीरियर स्टूडेंट हैं तो आपके लिए इससे अच्छा मौका हो ही नहीं सकता।


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नए साल के आगमन पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने छात्रों को बड़ा तोहफा देते हुए RO ARO परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। खास बात ये है कि इस बार वेकेंसी भी बंपर है। 465 पदों के लिए आयोग ने 30 दिसंबर को नोटिफिकेशन जारी किया है। आप अगर आवेदन करना चाहते हैं तो नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।

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फार्म भरने से पहले आपके लिए एक जरूरी सलाह है। नोटिफिकेशन को अच्छी तरह से पढ़ने के बाद ही फार्म भरे। फीस का भुगतान जल्द से जल्द कर आवेदन को कंपलीट करें। अगर आप समीक्षा अधिकारी परीक्षा की तैयारी की रणनीति जानना चाहते हैं तो हमारी वेबसाइट www.bookmynotes.com से मदद ले सकते हैं। हम अब से लगातार समीक्षा अधिकारी परीक्षा 2018 की तैयारी के लिए टिप्स, रणनीति और नोट्स उपलब्ध करवाएंगे।

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दोस्तों इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि गांव के उन छात्रों तक ये खबर पहुंच जाए जो टैलेंटेड तो हैं लेकिन सही खबर नहीं मिलने की वजह से सरकारी नौकरी के लिए अप्लाई नहीं कर पाते।

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Tuesday, 2 January 2018

GST पर IIM प्रोफेसर के ये Tips निबंध में जरूर डालिए, मिलेंगे अच्छे अंक

हाल फिलहाल में होनेवाली परीक्षाओं में GST से जुड़े प्रश्न आने तय हैं। अगर आप IAS, PSC, SSC परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और मेंस की तैयारी या फिर देने जा रहे हैं तो आप GST से जुड़ा एक टॉपिक तय मानिए। नीचे हम GST से छोटो कारोबारियों को सामने आनेवाली समस्याओं और उसके उपाय बता रहे हैं। ये बिन्दु दैनिक जागरण अखबार में IIM के पूर्व प्रोफेसर और वरिष्ठ अर्थशास्त्री भरत झुनझुनवाला ने एक लेख में पेश किया है।

NOTE:-दोस्तों अगर आप तैयारी से जु़ड़े टिप्स लगातार चाहते हैं तो स्क्रीन के राइट साइड पर नीचे की ओर बने बेल आईकॉन को क्लिक  करें और  Allow कर दें। इससे हम जब भी कोई आर्टिकल पोस्ट करेंगे आपको फौरन सूचना मिलेगी।


शोध सौजन्य-दैनिक जागरण अख़बार

GST से छोटे कारोबारियों के सामने आनेवाली समस्याएं:-

  • एक आकलन के अनुसार GST से छोटे कारोबारियों के कारोबार में करीब 40% की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। विशेषज्ञ भरत झुनझुनवाला का आकलन है कि ये गिरावट जीएसटी ढांचे के कारण है। 
  • जीएसटी लागू होने से हर व्यापारी को अपना माल पूरे देश में बेचने की छूट मिल गई है। यह व्यवस्था बड़े उद्योगों के लिए फायदेमंद है जबकि छोटो उद्योगो के लिए नुकसानदेह। कारण ये है कि अंतरराज्यीय व्यापार करने की क्षमता बड़े उद्योगों की ज्यादा होती है। उनके कोरोबार का विस्तार ज्यादा है। 
  • बड़े कारोबारियों के मुकाबले छोटे कारोबारी अंतरराज्यीय व्यापार कम करते हैं। बड़े व्यापारियों को मिली GST की सहूलियतें छोटे व्यापारियों के लिये अभिशाप बन गई है। जैसे नागपुर में बने सामान अब गुवाहाटी में आसानी से पहुंच रहे हैं और वहां के स्थानीय कारोबारियों का बिजनेस चौपट हो रहा है।   
  • GST का छोटे उद्योगों पर दूसरा असर रिटर्न भरने का बोझ है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक बयान में कहा है कि GST के तहत पंजीकृत 35 प्रतिशत लोग टैक्स अदा नहीं कर रहे हैं। 
  • बड़े व्यापारियों को जीएसटी से कोई समस्या नहीं है। क्योंकि उनके दफ्तर में चार्टर्ड अकाउंटेंट और कंप्यूटर ऑपरेटर पहले से ही मौजूद थे। छोटे व्यापारियों के लिए यह अतिरिक्त बोझ बन गया है। 
  • छोटे व्यापारियों की तीसरी परेशानी है कि खरीद पर अदा किए गए जीएसटी का उन्हें रिफंड नहीं मिलता। मसलन, अगर किसी दुकानदार ने कागज खरीदा और GST अदा किया। बड़े दुकानदार ने कागज बेचा तो उसके खरीददार ने इस रकम का सेटफ (Refund) ले लिया। छोटे दुकानदार ने कंपोजीशन स्कीम में कागज बेचा तो उसके खरीददार को GST सेटफ नहीं मिलेगा। 
  • इन तीन ढांचागत कारणों से जीएसटी छोटे व्यापरियों के लिए कष्टकारी हो गया है। छोटे व्यापरियों के दबाव में बाजार में मांग कम हो गई है और पूरी अर्थव्यवस्था ढीली पड़ रही है और जीएसटी का कलेक्शन गिरता जा रहा है।  

GST से छोटे कारोबारियों के सामने आनेवाली समस्याओं का उपाय:-

  • कुछ उत्पादों को छोटे उद्योगों के लिये फिर से संरक्षित कर दिया जाए जैसा कि पहले था। इससे छोटे उद्योग को फायदा होगा।  
  • GST में रजिष्ट्रेशन के प्रोत्साहन स्वरूप हर व्यापारी को 500 रुपये प्रति माह का अनुदान दिया जाए। इस रकम से छोटे व्यापारी पंजीकरण के कागजी बोझ को वहन कर लेंगे। 
  • कंपोजीशन स्कीम के छोटे व्यापारियों को भी खरीद पर अदा किए गए जीएसटी को पास ऑन करने की छूट दी जाए। तब ये बड़े व्यापारियों को टक्कर दे सकेंगे। 
  • IIM के पूर्व प्रोफेसर भरत झुनझुनवाला का मानना है कि प्रस्तावित ई-वे बिल इन परेशानियों को बढ़ा सकता है। वो एक उदाहरण से इसे समझाते हैं। 
  • उनके एक दोस्त ने नवजात शिशु को डॉक्टरों ने एंटीबायोटिक दवा दी। उसकी हालत नहीं सुधरी तो और बड़ी मात्र में एंटीबायोटिक दवा दी जिससे हालत सुधरने के बजाय और ज्यादा ही बिगड़ गई। इसी तरह वित्त मंत्री ने पहले अर्थव्यवस्था को GST की दवा दी। अर्थव्यवस्था नहीं सुधरी तो ई-वे बिल की दवा देना चाह रहे हैं। संभव है कि अर्थव्यवस्था और डिप्रेशन में चली जाए। 

Thursday, 28 December 2017

Clone क्या है? क्या आप क्लोनिंग के बारे में जानते हैं? पूरा कांसेप्ट करें क्लियर

क्लोन (Clone in Hindi)
यदि दो अलग-अलग कोशिकाओं की जींस रचना परस्पर बिल्कुल समान हो तो इनके गुणों में भी समानता होती है. अतः ये कोशिकाएं आपस में क्लोन कहलाती हैं. इसी प्रकार दो अलग-अलग जीवों की जींस रचना समान होने पर इन्हें भी परस्पर क्लोन कहा जाता है. क्लोन विकसित करने की तकनीक क्लोनिंग कहलाती है.
Question:-

किसी पौधे का क्लोन विकसित करने के लिए उसी पौधे के किस भाग से कोशिका लेनी पड़ेगा-
(A)- भ्रूण (Embryo)
(B)- भ्रूण पोष (endosperm)
(C)- बीज
(D) इनमें से कोई नहीं.

ANSWER-(D)

स्पष्टीकरणः-
Ø  उपरोक्त प्रश्न में सभी अवस्थायें युग्मक कोशिकाओं के निषेचन के फलस्वरूप उत्पन्न होती हैं. अतः क्रासिंग ओवर के कारण उनके जींस में बदलाव आ जाता है. अतः किसी पौधे का क्लोन विकसित करने के लिए उसके कायिक भागों या सोमेटिक भाग जैसे-जड़, तना, इत्यादि से कोशिका लेनी पड़ेगी.
Ø  डॉली भेड़ के क्लोनिंग प्रकरण में (डॉली नाम जर्मन गायिका का है) वैज्ञानिक द्वारा इसके माता भेड़ से थन कोशिका (कायिक या Somatic) तथा दूसरी अंडाणु कोशिका (युग्मक) ली गई, परन्तु अंडाणु कोशिका के जींस को थन कोशिका के जींस से प्रतिस्थापित कर दिया गया.

Question:-
निम्नलिखित में किसे परस्पर क्लोन माना जा सकता हैः-
(A) भातृ जुड़वा
(B) समरूप जुड़वा
(C) स्यामीज जुड़वा
(D) इनमें से कोई नहीं.

ANSWER-(D)
स्पष्टीकरणः-
Ø  भातृ-जुड़वा एक ही समय पर निर्मित दो अलग-अलग जाइगोट से विकसित होते हैं, अतः इनके जींस में भिन्नता आ जाती है.
Ø  समरूप जुड़वा एक ही जाइगोट के विभाजन से व्युत्पन्न होते हैं, अतः इनके जींस में समानता होती है.
Ø  समरूप जुड़वा के अंतर्गत परस्पर जुड़े हुए संताने स्यामीज जुड़वा कहलाती है.
Ø  मनुष्य में प्राकृतिक निषेचन फैलिपियोन नलिका के समीपस्थ भागों में होता है. इसी भाग में प्रारंभिक भ्रूणीय विकास शुरू हो जाता है, जबकि अंतिम भ्रूणीय विकास गर्भाशय में होता है, जबकि परखनखी शिशु या Test Tube Baby में निषेचन शरीर के बाहर (प्रायः परखनली में) होता है, जबकि भ्रूणीय विकास शरीर के अंदर होता है.

v  आजकल कृत्रिम निषेचन की अनेक विधियां बनायी जाती है. जैसे-
1-G.I.F.T (Gamete Intra Fallopian Tramps)
इसमें युग्मक कोशिकाओं को फैलोपियन नलिका में स्थान्तरित किया जाता है.
2-Z.I.F.T (Zaigot Intra Fallopian Transer)
इसमें बाहर से निर्मित जाइगोट, सीधे फैलोपियन नलिका में स्थान्तरित किया जाता है.
3-I.C.S.I (Intra Cytoplasmic Sperm Injection)-
इसमें शुक्राणु कोशिका सीरिन्ज में लेकर अंडाणु कोशिका में कोषा द्रव्य में सीधे अंतरविष्ट करा दिया जाता है.

Question:-
किसी भी प्राणी में माइट्रोकांड्रिया के जिन्स वित्पुन्न होते हैः-
(A) पिता से
(B) माता से
(C) दोनों से
(D) किसी से नहीं.

ANSWER-(D)

स्पष्टीकरणः-
चूंकि निषेचन प्रक्रिया में अंडाणु कोशिका पूर्णरूपेण भाग लेती है, जबकि शुक्राणु कोशिका का केवल केंद्रक युक्त सिर भाग ही निषेचन में सफल हो पाता है. अतः माइट्रोकांड्रिया शुक्राणु के मध्य भाग में स्थित होने के कारण यह निषेचन से बाहर रह जाती है.

स्टेम सेल (Stem Cell)
मनुष्य में शुक्राणु तथा अंडाणु के निषेचन से एक कोशिकीय जाइगोट की रचना बनती है जो भ्रूणीय विकास (विदलन प्रक्रिया) के माध्यम से क्रमशः मारुला, ब्लास्टुला (ब्लास्टोसिस्ट) तथा गैस्टुला की अवस्थाएं विकसित करता है. भ्रूण के प्रारंभिक दशा में इसकी कुछ मौलिक कोशिकाएं भिन्न अंगों को विकसित करने के लिए विशिष्टिकृत हो जाती हैं जो स्टेम कोशिकाएं कहलाती हैं. मनुष्य में ये कोशिकाएं ब्लास्टोसिस अवस्था से प्राप्त हो सकती हैं. इन स्टेम कोशिकाओं में विभाजित एवं पुनरूद्धभवन के द्वारा ये प्रयोगशाला में विशिष्ट अंगों को विकसित करने में समर्थ हो जाती हैं. स्टेम कोशिकाओं की सहायता से कैंसरग्रस्त अंगों का जैव रासायनिक नियंत्रणएटोप्टॉसिसकहलाता है.

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